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‘‘शालिनी, यह सब क्या है? आज किस का जन्मदिन है?’’ ‘‘केक काटने के लिए उपलक्ष्य

का इंतजार क्यों करना...अपने प्यार को सैलिब्रेट करने के लिए केक नहीं काट सकते क्या?’’ शालिनी अपनी नशीली आंखों का जाल सौरभ पर डाल चुकी थी.

दोनों ने साथ केक काटा, फिर शालिनी ने अपने हाथों से सौरभ को डिनर कराया. शालिनी ने पहले से ही सब कुछ तय कर रखा था. धीमा संगीत माहौल को और खूबसूरत बना रहा था. उस रात दोनों ने एकदूसरे से खुल कर प्यार किया. बहुत तड़के ही शालिनी उठ कर नहाने चली गई. अभी वह ड्रैसिंगटेबल के पास पहुंची ही थी कि सौरभ ने उसे पीछे से अपनी बांहों में भर लिया और चुंबनों की बौछार कर दी.

‘‘अरे छोड़ो न, क्या करते हो? रात भर मस्ती की है, फिर भी मन नहीं भरा तुम्हारा,’’ शालिनी कसमसाई. ‘‘मैं तुम्हें जितना ज्यादा प्यार करता हूं, उतना ही और ज्यादा करने का मन करता है.’’

‘‘अच्छा... तो अगर मैं आज कुछ मांगूं तो दोगे?’’ ‘‘जान मांगलो, पर अभी मुझे प्यार करने से न रोको.’’

‘‘उफ, इतनी बेचैनी... अच्छा सुनो मैं ने नौकरी करने का निर्णय लिया है.’’ ‘‘अरे, मैं तो खुद ही कह चुका हूं तुम्हें... घर बैठ कर बोर होने से तो अच्छा ही है... अच्छा समझ गया. तुम चाहती हो मैं तुम्हारी नौकरी के लिए किसी से बात करूं.’’

‘‘नहीं... मुझे नौकरी मिल गई है.’’ ‘‘मिल गई, कहां?’’

‘‘विमल ने मुझे अपने औफिस में काम करने का औफर दिया और मैं ने स्वीकार लिया.’’ सौरभ समझ गया था विरोध बेकार है. शालिनी उस से पूछ नहीं रही थी, उसे अपना निर्णय बता रही थी. सौरभ ने गले लगा कर शालिनी को बधाई दी और उस के बाद एक बार फिर दोनों एकदूसरे में समा गए.

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