अमित अभी सो ही रहा था कि पल्लवी ने एकदम से उस की चादर खींच ली. अमित आंख मलते हुए
बोला,"क्या बदतमीजी है यह..."
पल्लवी कटाक्ष करते हुए बोली,"तुम्हारे बराबर ही कमाती हूं, तो तुम्हें भी घर के कामों में बराबरी का
योगदान देना होगा।"
अमित बोला," कल कह तो दिया था कि एक मेड लगा लो। मेरा फील्ड का काम रहता है, मैं बहुत थक जाता हूं।"
पल्लवी तमतमाते हुए बोली,"मेरे पास फालतू पैसे नही हैं। तुम कर पाओगे इतना अफोर्ड?"
अमित इस से पहले कुछ बोल पाता पल्लवी ने अमित की मम्मी को लानतसलामत भेजनी शुरू कर दी
थी,"अगर तुम्हारी मम्मी ने तुम्हें अच्छे से पाला होता तो मुझे ये दिन न देखने पड़ते।"
उधर नींद में अधखुली आंखें लिए स्नेहा डरीडरी खड़ी थी. अपनी मम्मी पल्लवी के इस चंडी रूप से वह
भलीभांति परिचित थी मगर फिर भी उस 7 साल की छोटी सी जान को ऐसी सुबह से रोज डर लगता था. पल्लवी का बड़बड़ाना और अमित के हाथ एकसाथ बड़ी रफ्तार से चल रहे थे. अमित ने फटाफट औमलेट के लिए अंडे फेंटे और जल्दीजल्दी अपना नाश्ता बनाया. उधर पल्लवी अपने लिए अलग से नाश्ता बना रही थी.
जब अमित स्नेहा को तैयार कर रहा था कि अचानक से बाल बनाते हुए उसे सफेद बाल दिखाई दिए। एकाएक उस का हाथ ठिठक गया था. क्या स्नेहा के साथ भी वही कहानी दोहराई जाएगी? अचानक से अमित के अतीत के पन्नों से हंसतीमुसकराती मुनमुन सामने आ कर खड़ी हुई थी...
मुनमुन का औफिस में पहला दिन था। अमित ने उस की जौइनिंग के समय थोड़ीबहुत मदद करी थी. मुनमुन की गुलाब की पंखुड़ियों की तरह खुलती हुई बड़ीबड़ी आंखें, चिड़िया की तरह छोटेछोटे अधखुले गुलाबी होंठ, कंधे तक कटे हुए बाल जिन्हें वह हमेशा बांध कर रखती थी मगर सब से प्यारी थी मुनमुन की
बच्चों जैसी भोली हंसी जो किसी को भी 2 मिनट में अपना बना सकती थी.