यह लेख उन तमाम स्मार्टफोनधारक पतियों को समर्पित है, जिन्हें वह उपहारस्वरूप मिला है. जब हमारी श्रीमतीजी ने एक स्मार्टफोन ले कर देने की इच्छा जताई थी तब से हम 7वें आसमान पर थे और यह सोचसोच कर अपनी श्रीमतीजी पर कुरबान हुए जा रहे थे कि कितना प्यार करती हैं हमें और दिल से चाहती हैं कि हम स्मार्ट बंदे बनें. स्मार्ट तो पता नहीं पर हां, बंदा हम जरूर बन गए हैं. और देखते ही देखते आईफोन हमारे हाथ में थमा दिया. ऐनिवर्सरी गिफ्ट के रूप में.

हम पंछी बन कभी फेसबुक पर तो कभी व्हाट्सऐप पर डोलने लगे. दोस्तों में शेखी बघारते हुए अपनी श्रीमतीजी का गुणगान कर अपनी किस्मत और उन की लाचारी पर इतारने लगे. अब उन की किस्मत में ऐसी स्मार्ट श्रीमतीजी नहीं आईं तो हम क्या करें?

जिस दिन फोन घर आया, हमारी टेकसेवी श्रीमतीजी ने पूरा 1 दिन लगा कर उसे हमारे इस्तेमाल के लायक बनाया. हम मन ही मन खुश होते रहे कि कितना खयाल रखती हैं हमारा. हमें सीधा फर्श से अर्श पर चढ़ा दिया. हमारे सैमसंग गुरु को सीधा आईफोन 5एस से अपगे्रड कर दिया.

वह और बात है कि जब दाम सुना तो लगा शायद किडनी बेच कर लेना पड़ेगा पर इस की नौबत नहीं आई. श्रीमतीजी ने सलाहमशवरा कर के हमारी 1 साल की कमाई दांव पर लगा दी. जब राजा दशरथ 4 श्रीमतियों के होते अपनी 1 श्रीमतीजी को न टाल सका तो हम तो अदद 1 श्रीमतीजी वाले पति हैं. अब हमारी क्या बिसात कि उन के कहे को नकार सकें.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...