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कहानी
शुभारंभ
शरद और आराधना उस दौर से गुजर रहे थे जहां अकेलापन उन के लिए असहनीय था
Digital Team
,
Mar 19, 2020
भाग - 1
वह उठ कर मैगजीन उलटनेपलटने लगा था. उस ने देखा, एक स्त्री घबरा कर उठी थी और इधरउधर देख रही थी. फिर उस के पास आ गई थी.
भाग - 2
यहां रहना मुश्किल है. मुझे इस में सारा समय मेरे पति चलतेफिरते, बातें करते दिखाई देते हैं. कभी बच्चों की आवाजें सुनाई देती हैं. मैं कल 2 ओल्डएज होम में जा कर आई हूं.
भाग - 3
अब मैं अकेला हूं, सुबह सैर करने जाता हूं. दिन में फुरसत में पेंटिंग कर लेता हूं. शाम को क्लब में बिलियर्ड खेल आता हूं.
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