इतने में शिवानी पास आ कर फुसफुसाई, ‘‘बड़े स्मार्ट लग रहे हैं जीजाजी, बिलकुल चार्ली चैपलिन की तरह. पूछ तो सही, कपड़े जामा मसजिद की कौन सी दुकान से लाए हैं?’’
‘‘चल हट,’’ निशा ने झिड़क कर कहा, ‘‘तू ही पूछ ले.’’
फिर निशा ने भी अधिक शरमाने में भलाई नहीं समझी. उस का जी भी तो वरुण के पास बैठने को मचल रहा था. मां तो समझती ही नहीं, पर फिर भी...
जब धीरेधीरे खुली खिड़की से आती खुशबूदार हवा की तरह उस ने कमरे में प्रवेश किया तो वरुण की आंखें मानो उस पर चिपक गईं. फालसई रंग का सलवारकुरता उस पर अच्छा खिल रहा था. सांवला रंग फीका पड़ गया था और वरुण को वह आशा के विपरीत अधिक साफसुथरी नजर आ रही थी. अलग अकेले में बात करने को मन करने लगा. शिवानी ने उठते हुए वरुण के पास निशा के लिए जगह बना दी.
सास मुंह बना कर अंदर रसोई में चली गईं. ससुर 1-2 औपचारिक बातें करने के बाद अपने कमरे में चले गए. शिवानी मां की मदद करने के लिए रसोई में गई और दोनों साले बाजार से कुछ लाने को भेज दिए गए.
इस तरह मैदान खाली कर दिया गया.
निशा शरमा कर नीचे देख रही थी. वरुण उस के चेहरे पर आंखें गड़ाए था. यही तो है न वह.
वरुण ने गहरी सांस ले कर आहिस्ते से कहा, ‘‘बहुत सुंदर लग रही हो.’’
निशा ने मुसकरा कर मासूमियत से कहा, ‘‘हां, मां भी यही कहती हैं.’’
वरुण शरारत से हंसा, ‘‘ओह, तो मां का प्रमाणपत्र पहले ही मिल चुका है. यह अधिकार तो मेरा था.’’