एक फैज अहमद फैज की गजल है, ‘मु झ से पहली सी मोहब्बत मेरे महबूब न मांग, और भी दुख हैं जमाने में मोहब्बत के सिवा. राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा.