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‘‘यानी वह काफी देर रहा आप के फ्लैट में?’’ ‘‘जी हां, सुबह मेरी नौकरानी जब नीचे प्रैस वाली को कपड़े देने जाती है तो दरवाजा खुला ही छोड़ जाती है, उसी समय कोई घुस आया होगा और परदे के पीछे छिप गया होगा. इत्तफाक से आज नौकरानी के वापस आने से पहले ही मैं तैयार हो गई थी. सो, ताला लगा कर नीचे चली गई और बेचारा चोर अंदर ही बंद हो गया.’’

‘‘फिर आराम से खातापीता रहा,’’ गौरव हंसा, ‘‘सुरक्षा बढ़ाने की बात हुई?’’

‘‘हां, प्रत्येक बिल्ंिडग में विजिटर्स को रजिस्टर में साइन करना होगा. सब का यही मानना है कि उस रोज कालोनी से ही कोई मेरे घर में आया था, रात को वह जो भी चाहता था उस का वह मंसूबा तो मैं ने अनजाने में चिल्ला कर सत्यानाश कर ही दिया और आप सब के आने पर वह परदे के पीछे से निकल कर भीड़ में शामिल हो गया. खैर, सिक्योरिटी को ले कर तो सभी चिंतित हैं और फिलहाल विजिटर्स बुक रखना सही कदम है. मगर सब से मजेदार थी छींटाकशी. नीलिमाजी का कहना था कि लोगों को अपने घरेलू नौकरों पर नजर रखनी चाहिए और उन की हरकतों की जिम्मेदारी भी उठानी चाहिए. उन के खयाल से किसी का घरेलू नौकर ही मेरे घर में घुसा था. शनिवार को बहुत से नौकरों की छुट्टी रहती है. इस पर ऊषाजी ने कहा कि घरेलू नौकर तो छुट्टी के रोज नींद पूरी करते हैं, लेकिन अमीर लोगों के जवान होते बच्चों को दूसरों के घरों में घुसने की बीमारी होती है, उन पर खास नजर रखनी चाहिए.

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