समय बीत रहा था. एक दिन जब रमिया की मां घर की साफसफाई कर रही थी, तो उसे एक बिस्तर के नीचे वही घंटियां मिलीं, जो उस ने अपनी बेटी श्यामा की कमर में बांधी थीं.