Best Hindi Story : रविवार का दिन था. अरुण बहुत दिनों से पुरानी यादें ताजा करने को उत्सुक था. उस ने प्रतिभा को अपने साथ चलने के लिए मना लिया.
प्रतिभा ने विरोध नहीं किया. वे सुबहसवेरे ही अलीगढ़ के लिए घर से निकल पड़े. तीनों बहुत खुश थे. दोपहर तक वे गतंव्य तक पहुंच गए.
सब से पहले अरुण उन्हें ले कर उस रैस्तरां पहुंचा जहां वह अपने दोस्तों के साथ अधिकांश वक्त बिताया करता था. वह बोला, "प्रियांक, यहां मैं दोस्तों के साथ रोज आया करता था."
"आज आप हमारे साथ आए हैं. मैं और मम्मी भी आप के बेस्ट फ्रैंड हैं, पापा."
उस की बात सुन कर अरुण ने प्रतिभा की तरफ देखा. उस ने नजरें झुका लीं. कौफी का मजा लेते हुए अरुण का अतीत उस की आंखों के सामने चलचित्र की तरह घूमने लगा. उसे याद आ रहा था कि 9वीं क्लास से वह अलीगढ़ शहर में पलाबढ़ा था. अरुण के पापा बेंगलुरु से ट्रांसफर हो कर यहां आए थे. एमएससी करने के बाद अरुण कंपीटिशन की तैयारी के लिए दिल्ली चला आया और कुछ महीने बाद नौकरी के सिलसिले में वह नागपुर चला गया था.
अरुण का परिवार खुले विचारों का नहीं था. उस के पापा का देहांत एक ऐक्सिडैंट में तब हो गया जब वह बीए में पढ़ता था. उस की मम्मी माया ने उस की अच्छी परवरिश की थी. नौकरी मिल जाने के बाद 27 साल की उम्र में वह अपनी बिरादरी की लड़की से ही अरुण की शादी कराना चाहती थी.
एक बार अरुण अपनी बूआ की लड़की शिप्रा की शादी में हाथरस गया था. वहीं पर उस की प्रतिभा से पहली बार मुलाकात हुई थी. वह शिप्रा की फ्रैंड थी. शादी के दिन सजीधजी गुलाबी लहंगे में वह बेहद खूबसूरत लग रही थी. अरुण का ध्यान शादी से ज्यादा उसी पर था. प्रतिभा भी इस बात को महसूस कर रही थी. रात को फेरों के समय अरुण उसी की बगल में जा कर बैठ गया था. युवाओं में चुहलबाज़ी चल रही थी. प्रतिभा भी इस बातचीत में शामिल थी और उस की हर बात का अपने तीखे अंदाज में जवाब दे रही थी.
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