रियो ओलंपिक में साक्षी मलिक ने देश में पदकों का सूखा खत्म किया. साक्षी उस हरियाणा की है जहां लैंगिक अनुपात में लड़कियां काफी पीछे हैं, लेकिन साक्षी की जीत से एक बेटी ने बता दिया कि वह भारत का भविष्य है.

ब्रॉन्ज मेडल जीतकर साक्षी मलिक पहली महिला भारतीय पहलवान बन गयी हैं जिसने ओलंपिक मेडल जीता है, लेकिन इसे जीतना इतना आसान नहीं था. साक्षी करीब-करीब मुकाबला हार चुकी थीं. लेकिन आखिर 30 सेकेंड में कुछ ऐसा हुआ जिसने सबकुछ बदल दिया.

आखिरी 30 सेकेंड की कहानी

आखिरी तीस सेकेंड में जो हुआ वो किसी चमत्कार से कम नहीं था. लेकिन रेसलिंग के रिंग में इसकी नींव तब पड़ी जब मुकबला खत्म होने में बचे थे सिर्फ 1 मिनट 40 सेकेंड और यहीं पर साक्षी ने अपना पहला दांव मारा.

साक्षी के इस दांव ने किर्गिस्तान की रेसलर के खिलाफ दो अहम प्वाइंट दिलाए. अपने इस अटैक की बदौलत साक्षी ने दो प्वाइंट बना लिए. लेकिन जीत अब भी कोसों दूर थी. मुकाबला खत्म होने में 1 मिनट 30 सेकेंड 3 प्वाइंट से पिछड़ रही साक्षी ने दूसरा दांव मारा जिसने किर्गिस्तान की रेसलर की हिम्मत ही तोड़ दी.

इस जीत के बाद खुद साक्षी ने कहा, ‘5-0 की लीड से मैं हार रही थी. लेकिन मुझे खुद ही विश्वास नहीं हो रहा था कि क्यों, तेरा कहीं ना कहीं तो मेडल है, तो तू लास्ट तक लड़. अगर तू लास्ट तक लड़ेगी तो मेडल पक्का है.’

साक्षी ने इन प्वाइंट्स की बदौलत अपने 4 अंक तो कर लिए लेकिन अभी भी वो अपने विरोधी से पीछे थीं और वक्त भी बेहद कम बचा था. साक्षी के पास बचे थे आखिरी 30 सेकेंड. किर्गिस्तान की पहलवान से वो 4-5 से पीछे चल रही थीं. मेडल जीतना नामुमकिन लग रहा था लेकिन तभी साक्षी ने तीसरा दांव मारा और मुकाबला बराबरी पर आ गया था लेकिन जीत करीब-करीब नामुमकिन हो चुकी थी क्योंकि अब साक्षी के पास सिर्फ 9 सेकेंड बचे थे.

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