ब्राजील के रियो शहर में 17 दिन बाद 131वें ओलंपिक खेलों का रंगारंग समापन हुआ. क्लोजिंग सेरेमनी ऐतिहासिक मारकाना स्टेडियम में हुई. मेडल टैली में भारत एक कांस्य और एक रजत पदक के साथ 67वें स्थान पर रहा, जबकि सबसे अधि‍क 121 मेडल के साथ अमेरिका शीर्ष पर रहा. समापन कार्यक्रम की शुरुआत बेहतरीन रंग-बिरंगी रोशनी के बीच हुई. ओलंपिक रिंग्स और क्राइस्ट द रिडीमर का आकार बनाकर स्टेडियम में खूबसूरत नजारा पेश किया गया.

रियो ओलंपिक में भारत का प्रदर्शन

रियो ओलंपिक में भारत का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा. इस बार रियो में 119 खिलाड़ियों का दल भेजा गया था, जिसमें भारत को सिर्फ 2 मेडल मिले. रियो में सिर्फ पीवी सिंधू (सिल्वर) और साक्षी मलिक (ब्रॉन्ज) ही मेडल जीत पाईं. इस साल किसी भी भारतीय पुरुष खिलाड़ी को मेडल नहीं मिला. दो मेडल के साथ भारत को ओलंपिक की मेडल लिस्ट में 67वां स्थान मिला.

खिलाड़ि‍यों ने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया: पीएम

रियो ओलंपिक की समाप्ति के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओलंपिक की मेजबानी के लिए ब्राजील का आभार व्यक्त किया है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'पूरी दुनिया के लोगों का स्वागत करने और एक यादगार ओलंपिक आयोजित करने के लिए मेजबान ब्राजील के प्रति आभार.' पीएम ने इसके साथ ही रियो ओलंपिक में शामिल भारतीय दल को बधाई देते हुए कहा कि हर खिलाड़ी ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया.

जापान की गवर्नर को सौंपा गया ओलंपिक का झंडा

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के अध्यक्ष थॉमस बाक ने माराकाना स्टेडियम में टोक्यो में 2020 में मिलने के वादे के साथ इन खेलों का समापन किया. टोक्यो को 2020 ओलंपिक की मेजबानी दी गई है और उसने अपने प्रधानमंत्री शिंजो एबे के नेतृत्व में 32वें ओलंपिक खेलों की तैयारियों की अपनी झलक पेश की. बाक ने इस दौरान रियो के मेयर एडवडरे पेस से ओलंपिक झंडा लेकर टोक्यो की मेयर (गवर्नर) यूरीकी कोइके को सौंपा.

साक्षी मलिक रहीं ध्वजवाहक

इस मौके पर 27 बच्चों ने ब्राजील का नेशनल एंथम गाया. इसके बाद ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले 207 देशों के खिलाड़ियों ने स्टेडियम में मार्च पास्ट करना शुरू किया. ग्रीस ने इसकी शुरुआत की. ब्राजील और जापान का दल एक साथ स्टेडियम में दाखिल हुए, क्योंकि ब्राजील ने इस बार के ओलंपिक की मेजबानी की तो अगले ओलंपिक की मेजबानी जापान करेगा.

क्लोजिंग सेरेमनी में भारत की तरफ से रेसलिंग में रजद पदक जीतने वाली साक्षी मलिक भारतीय ध्वज लेकर स्टेडियम में दाखिल हुईं. पीवी सिंधू स्वदेश वापस लौट चुकी हैं और इसी वजह से वो इस इवेंट का हिस्सा नहीं बनीं.

रियो ओलंपिक खत्म हो चुका है. इस बार बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु और रेसलिंग में साक्षी मलिक ने सवा करोड़ हिन्दुस्तानियों को मुस्कुराने की वजह दी. सिंधु के सिल्वर और साक्षी के ब्रॉन्ज मेडल के अलावा, दीपा कर्माकर ने भी भारतीयों की उम्मीदें जगाई और 52 साल बाद जिम्नास्टिक्स में क्वालिफाई करने के बाद उन्होंने फाइनल तक का सफर तय किया.

दीपा महिलाओं की व्यक्तिगत वॉल्ट स्पर्धा के फाइनल में चौथे स्थान पर रहीं और मामूली अंकों के अंतर से पदक से चूक गईं. बीजिंग ओलंपिक 2008 में गोल्ड मेडल जीतने वाले अभिनव बिंद्रा भी 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग में चौथे स्थान पर रहे.

पदकों के लिहाज से रियो ओलंपिक भारत के लिए निराश करने वाला ही रहा. वैसे ओलंपिक में भारत के इतिहास पर एक नजर दौड़ाई जाए तो साफ हो जाता है कि भारत ने कभी भी ऐसा प्रदर्शन नहीं किया कि उसकी वाहवाही हो सके.

ओलंपिक के इतिहास में भारत ने अब तक 24 बार इन खेलों में भाग लेते हुए 9 गोल्ड, 7 सिल्वर और 12 ब्रॉन्ज मेडल सहित कुल 28 पदक हासिल किए हैं. जबकि अमेरिकी तैराक माइकल फेल्प्स ने 5 ओलंपिक में भाग लेते हुए 23 गोल्ड मेडल सहित अकेले ही भारत के बराबर 28 पदक अपने नाम कर लिए.

आईना दिखाता इतिहास

ओलंपिक में भारत की शुरुआत

साल 1896 में एथेंस में हुए पहले ओलंपिक खेलों में भारत ने हिस्सा नहीं लिया. इसके बाद साल 1900 में पेरिस में हुए दूसरे ओलंपिक खेलों में भारत ने भाग भी लिया और 2 सिल्वर मेडल भी अपने नाम किए. यह दोनों मेडल एंग्लो इंडियन नॉर्मन प्रिचर्ड ने भारत की झोली में डाले.

ओलंपिक से भारत का वनवास

साल 1904 में सेंट लुइस ओलंपिक, 1908 में लंदन ओलंपिक, 1912 में हुए स्टॉकहोम ओलंपिक में भी भारत ने हिस्सा नहीं लिया. जबकि साल 1916 में पहले विश्व युद्ध के कारण ओलंपिक खेल नहीं हो पाए.

फिर शून्य से शुरुआत

साल 1920 में एंटवर्प (बेल्जियम) ओलंपिक और साल 1924 के पेरिस ओलंपिक में भारत की झोली खाली रही और कोई भी खिलाड़ी मेडल जीत पाने में सफल नहीं रहा.

हॉकी के सुनहरे युग की शुरुआत

साल 1928 में एम्सटर्डम में आयोजित हुए ओलंपिक खेलों में भारत हॉकी टीम ने सुनहरा प्रदर्शन करके गोल्ड मेडल हासिल किया और इस साल यही एकमात्र मेडल भारत के नाम रहा. इसके बाद 1932 में लॉस एंजिलिस और 1936 में बर्लिन में आयोजित हुए ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम ने गोल्ड मेडल हासिल किया और भारत की झोली में 1-1 मेडल आया.

आजादी के बाद भारत का ओलंपिक अभियान

साल 1948 में लंदन में आयोजित हुए ओलंपिक खेलों में भी हॉकी का सुनहरा दौर जारी रहा और भारत ने हॉकी में लगातार चौथी बार गोल्ड मेडल अपने नाम किया और यही भारत का एकमात्र मेडल भी रहा.

साल 1952 में हेलसिंकी में आयोजित हुए ओलंपिक खेलों में भी भारतीय हॉकी टीम ने गोल्ड मेडल जीता, इसके अलावा यहां एक ब्रॉन्ज मेडल भी भारत ने अपने नाम किया. इस तरह भारत के पदकों की संख्या 2 तक पहुंची. साल 1956 मेलबोर्न ओलंपिक में भी हॉकी टीम में शानदार प्रदर्शन करके गोल्ड मेडल जीता और यही एकमात्र मेडल भारत के नाम रहा.

साल 1960 में रोम में आयोजित खेलों में भारत को सिर्फ एक सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा. इसके बाद 1964 में टोक्यो ओलंपिक में एक बार फिर भारतीय हॉकी टीम ने गोल्ड मेडल जीता और एक बार फिर भारतीय टीम सिर्फ एक मेडल के साथ वापस लौटी.

हॉकी ने भी किया निराश

साल 1968 में मैक्सिको सिटी और 1972 में म्यूनिख में आयोजित ओलंपिक खेलों में भारत को 1-1 ब्रॉन्ज मेडल से संतोष करना पड़ा. जबकि 1976 में मोंट्रियाल ओलंपिक में भारत की झोली खाली ही रही. इन तीनों सालों में हॉकी भी खास कमान नहीं दिखा पाई.

हॉकी में फिर लौटी रौनक

1980 के मॉस्को ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम में एक बार फिर और अब तक के आखिरी बार सुनहरा प्रदर्शन कर रिकॉर्ड 8वीं बार ओलंपिक गोल्ड मेडल जीता. इस साल भी भारत के हाथ सिर्फ एक ही मेडल आया.

फिर सिफर पर पहुंचा भारत

भारत में हॉकी का पतन हो गया. 1984 लॉस एंजिलिस, 1988 सियोल और 1992 बार्सिलोना ओलंपिक में भारत की झोली खाली ही रही. इस दौरान कोई भी भारतीय खिलाड़ी इस स्तर पर प्रदर्शन नहीं कर पाया.

लिएंडर पेस के रूप में मिला नया हीरो

साल 1996 के अटलांटा ओलंपिक में भारत को लिएंडर पेस के रूप में टेनिस का एक नया हीरो मिला. लिएंडर ने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया और पिछले 3 ओलंपिक से सिफर के सफर पर विराम लगाया.

मल्लेश्वरी ने दिखाई महिला शक्ति

साल 2000 में आयोजित सिडनी ओलंपिक में भारत की वेटलिफ्टर कर्णम मल्लेश्वरी ने महिला शक्ति का प्रदर्शन करते हुए भारत की झोली में इन खेलों का एकमात्र ब्रॉन्ज मेडल डाला.

शूटिंग-बॉक्सिंग और कुश्ती का भी दौर आया

साल 2004 में एथेंस ओलंपिक में भारतीय निशानेबाज राज्यवर्धन सिंह राठौर ने डबल ट्रैप शूटिंग में सिल्वर मेडल जीतकर भारत में शूटिंग चमचमाता दौर का शुभारंभ किया. भारत को एक बार फिर एक ही पदक से संतोष करना पड़ा.

इसके बाद साल 2008 बीजिंग ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा ने भारत को ओलंपिक के इतिहास में पहला व्यक्तिगत गोल्ड मेडल दिलाया. अभिनव ने 10 मीटर एयर राइफल में गोल्ड मेडल जीता. उनके अलावा बॉक्सिंग में विजेंदर सिंह औप कुश्ती में सुशील कुमार ने भी ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारत के पदकों की संख्या पहली बार 3 तक पहुंचा दी.

भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन

साल 2012 में आयोजित लंदन ओलंपिक में भारत ने अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 6 मेडल अपने नाम किए. शूटिंग में विजय कुमार ने 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल और सुशील कुमार ने कुश्ती में सिल्वर मेडल अपने नाम किए.

इनके अलावा 10 मीटर एयर राइफल में गगन नारंग, महिला सिंगल्स बैडमिंटन में साइना नेहवाल, महिला बॉक्सिंग में मैरी कॉम और कुश्ती में योगेश्वर दत्त ने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया. लंदन ओलंपिक में भारत ने 2 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज मेडल सहित कुच 6 मेडल जीते.

रियो का फ्लॉप शो

रियो में भारतीय दल से सवा करोड़ भारतवासियों को काफी उम्मीदें थीं. जैसे-जैसे ओलंपिक आगे बढ़ता गया, भारतीय धुरंधर ढेर होते गए और भारत में निराशा गहराते गई. अंतिम कुछ दिनों में दीपा कर्माकर ने उम्मीदें जगाई, लेकिन वह भी चौथे नंबर पर रहीं.

फिर साक्षी मलिक ने ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारतीयों को मुस्कुराने की वजह दी. अंत में पीवी सिंधु ने गोल्ड मेडल की उम्मीदें जगाई, लेकिन वह भी चूक गईं और उन्हें सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा. अब इस ओलंपिक से नाउम्मीदी की गहराईयों में डूब चुके भारतीयों को सिंधु के सिल्वर मेडल ने खुशी दी और इस तरह से भारत की पदक तालिका 2 तक पहुंच गई.

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