मगर देश में उग्र हिंदुत्व की नाव पर बैठकर कुछ संगठन अपनी हांकते रहते हैं और दिखाया गया है कि कानून को अपने हाथ में लेकर के देश का समरसता का माहौल खराब करने का काम करते हैं. सत्य है कि ऐसे संगठनों पर अंकुश सरकार और प्रशासन लगा पाने में अनेक दफा अक्षम सिद्ध हुआ है.परिणाम स्वरूप देश के हालात आज उग्र हिंदुत्व के हिंडोले में झूलने के लिए अभिशप्त है.
दरअसल, दक्षिणपंथी संगठनों की धमकियों के बाद गुरुग्राम में 'स्टैंड अप कामेडियन' कुणाल कामरा का कार्यक्रम रद्द होना एक ऐसी नजीर है जिस पर देश को चिंतन करने की आवश्यकता है.
भारत देश में संविधान सर्वोपरि है ऐसे में चाहे वह हिंदुत्ववादी संगठनों या अन्य सिर्फ भावना भड़क रही है के नाम पर कानून को अपने हाथ में ले ले और अपने मकसद में सफल हो जाएं तो यह शर्मनाक की स्थिति है क्योंकि संविधान सबको बराबरी का हक देता है.
देश में जिस तरह कुणाल कामरा स्टैंड अप कॉमेडियन की हिंदूवादी संगठनों ने हिंदू देवी-देवताओं के अपमान और मजाक उड़ाने के मसले पर घेराबंदी करके उनके कार्यक्रम रद्द कराने की सफल कोशिश की है वह बताती है कि संविधान को किस तरह दरकिनार रख कर के कुछ हिंदुत्ववादी संगठन देश को गलत दिशा में ले जाने का प्रयास कर रहे हैं.
कुणाल कामरा और गांधी का हत्यारा गोडसे
बारंबार लग रहे आरोपों का जवाब देते हुए कुणाल कामरा ने आखिरकार हिंदुत्ववादी संगठनों को कुछ इस तरह घेर कर दिखा दिया है कि विश्व हिन्दू परिषद को अब उन्हें ना खाते बन रहा है और ना ही उगलते बन रहा है.