प्रदेश में शराबबंदी के बावजूद शराब माफिया, अपराधियों और पुलिस वालों के बीच अनोखा महागठबंधन तैयार हो गया है और वह शराबबंदी कानून को ठेंगा दिखा रहा है. इस की एक छोटी सी बानगी 11 अक्तूबर, 2017 को देखने को मिली, जब अरवल पुलिस ने शराब का एक कंसाइनमैंट पकड़ा. मामले की जांच के लिए केस को आर्थिक अपराध इकाई यानी ईओयू को सौंप दिया गया. ईओयू ने अपना काम शुरू किया. उसे सूचना मिली थी कि 12 अक्तूबर को उसी कंसाइनमैंट की डिलीवरी सीतामढ़ी में होने वाली है. पुलिस ने छापा मारने की तैयारी की. सीतामढ़ी पुलिस को अलर्ट रहने को कहा गया.

इसी बीच रून्नीसैदपुर थाने के दारोगा अवनी भूषण सिंह ने शराब माफिया अजीत राय के मोबाइल फोन पर मैसेज भेजा, ‘अभी रेड होगी.’ उस के बाद दारोगा साहब ने फोन कर के अजीत राय को सावधान रहने की हिदायत भी दी.

अजीत राय पर शराबबंदी कानून तोड़ने समेत हत्या, रंगदारी वसूलने समेत कई केस पहले ही दर्ज हैं. तकरीबन आधा दर्जन मामलों में वह चार्जशीट किया जा चुका है.

दारोगा अवनी भूषण सिंह को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि वह पहले से ही ईओयू के रडार पर है.

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शराब माफिया को छापामारी की सूचना देने के कुछ ही देर बाद साल 2009 बैच के दारोगा अवनी भूषण सिंह समेत शराब माफिया को दबोच लिया गया.

बिहार में यह इस तरह का पहला मामला है जब ईओयू ने शराब माफिया और पुलिस के गिरोह का भंडाफोड़ किया है.

11 अक्तूबर को ही अरवल जिले के कलेर थाने के थानेदार को शराब के एक कंसाइनमैंट की जानकारी मिली. रात के 8 बज कर 35 मिनट पर थानेदार ने पुलिस टीम के साथ पटनाऔरंगाबाद हाईवे-98 पर एक मिनी ट्रक को रोका.

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