‘अम्मा, यह बेटा है या बेटी?’’ एक युवती ने समीना से पूछा. अस्पताल के वार्ड में एक स्टूल पर बैठी समीना ने कहा, ‘‘अरी लाली, यह मेरा पोता है. आज सुबह ही पैदा हुआ है.’’
‘‘अम्मा, पोता होने से तेरी तो मौज हो गई,’’ उस युवती ने समीना को बातें में लगाते हुए कहा.
‘‘हां लाली, सब अल्लाह की मेहर है,’’ समीना आसमान की ओर हाथ उठा कर बोली.
‘‘अम्मा, तेरा पोता बड़ा खूबसूरत और गोलमटोल है,’’ युवती ने नवजात बच्चे को दुलारते हुए कहा, ‘‘अम्मा, तू कहे तो मैं इसे गोद में ले कर खिला लूं.’’
‘‘ले तेरा मन बालक को गोद में खिलाने की है तो खिला ले.’’ समीना ने अपने पोते को युवती की गोद में देते हुए कहा.
युवती नवजात को गोद में ले कर दुलारने, प्यार करने लगी. उसे अपने पोते पर इतना प्यार बरसाते देख कर समीना ने पूछा, ‘‘लाली, तू यहां क्या कर रही है?’’
‘‘अम्मा, मेरी चाची के औपरेशन से बच्चा हुआ है. वह इसी अस्पताल के बच्चा वार्ड में मशीन में रखा है.’’ युवती ने समीना को बताया, ‘‘मैं तो चाची की मदद के लिए आई थी, लेकिन बालक मशीन में रखा है, इसलिए इधर आ गई. मुझे बच्चा खिलाना अच्छा लगता है.’’
समीना ने उस युवती को आशीर्वाद दिया.
यह बीती 10 जनवरी की बात है. भरतपुर जिले की पहाड़ी तहसील के हैवतका गांव के निवासी तारीफ की पत्नी मनीषा ने तड़के 4 बज कर 20 मिनट पर पहाड़ी के राजकीय अस्पताल में बेटे को जन्म दिया था. प्रसव के दौरान मनीषा को चूंकि अधिक रक्तस्राव हुआ था और वह एनीमिक भी थी, इसलिए डाक्टरों ने उसे जिला मुख्यालय भरतपुर के जनाना अस्पताल रेफर कर दिया था.
मनीषा के परिवार वाले उसे पहाड़ी से भरतपुर के राजकीय जनाना अस्पताल ले आए. भरतपुर, राजस्थान का संभाग मुख्यालय है. वहां अच्छी चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध हैं.
मनीषा दोपहर करीब 12 बज कर 28 मिनट पर अस्पताल पहुंची. कागजी खानापूर्ति के बाद उसे 12 बज कर 50 मिनट पर अस्पताल के पोस्ट नैटल केयर वार्ड नंबर-1 में बैड नंबर 7 पर भरती कर लिया गया.
अस्पताल में भरती होने पर प्रसूता मनीषा बैड पर लेट गई. मनीषा के साथ उस की सास समीना और समीना की सास जुम्मी सहित गांव के कई पुरुष भी भरतपुर आए थे. मनीषा का पति तारीफ साथ नहीं था. वह ट्रक चलाता था और ट्रक ले कर दिल्ली से मुंबई गया हुआ था. मनीषा की शादी करीब डेढ़ साल पहले हुई थी. पहली संतान के रूप में उसे बेटा हुआ था.
मनीषा के नवजात बेटे को समीना गोद में ले कर खिला रही थी, तभी वह युवती वहां आ गई थी. उस ने समीना और मनीषा को बातों में लगा लिया. हंसहंस कर बात करते हुए उस ने समीना से उस का पोता अपनी गोद में ले लिया.
वह युवती जब नवजात को गोद में ले कर दुलार रही थी, तभी डाक्टर ने मनीषा को ब्लड चढ़ाने की जरूरत बताई. इस पर मनीषा का जेठ मुफीद और ताया ससुर सद्दीक भरतपुर के ही आरबीएम अस्पताल से ब्लड लेने चले गए. अस्पताल में भरती मनीषा, उस की सास समीना और दादी सास जुम्मी अस्पताल में रह गईं.
उस युवती को अपने पोते के साथ खेलता देख कर समीना ने उस से कहा, ‘‘लाली, हम ने सुबह से चाय तक नहीं पी है. तू हमारी बहू के पास बैठ कर बच्चे को खिला, हम अस्पताल के बाहर कैंटीन पर चायनाश्ता कर आते हैं.’’
इस के लिए वह युवती खुशीखुशी तैयार हो गई. दोपहर करीब 2 बजे युवती को वहां बैठा छोड़ कर समीना और उस की सास जुम्मी चाय पीने अस्पताल के बाहर चली गईं.
समीना और उस की सास के बाहर जाने के बाद उस युवती ने मनीषा से कहा कि तुम्हें शौचालय जाना हो तो मैं ले चलती हूं. मनीषा के हां कहने पर वह युवती उस का हाथ पकड़ कर उसे शौचालय ले गई. मनीषा का बेटा युवती की गोद में ही था. मनीषा शौचालय के अंदर चली गई.
कुछ देर बाद मनीषा शौचालय से बाहर निकली तो वहां वह युवती नहीं थी. मनीषा ने सोचा कि शायद वह बैड पर जा कर बैठ गई होगी.
मनीषा जैसेतैसे सहारा ले कर अपने बैड तक आई, लेकिन वह वहां भी नहीं थी. इस पर मनीषा ने शोर मचाया तो वार्ड में भरती अन्य प्रसूताओं के घर वाले एकत्र हो गए.
उधर अस्पताल के बाहर मनीषा की सास समीना जब चाय पी रही थी तो उस ने उस युवती को बच्चे को कंबल में लपेट कर ले जाते हुए देखा. समीना ने कंबल देख कर युवती को टोका भी लेकिन वह रुकी नहीं.
वह तेज कदमों से चली गई. इस से समीना को संदेह हुआ. वह वार्ड में बहू के पास आई तो वह रो रही थी. मनीषा ने बताया कि जो युवती बच्चे को गोद में ले कर खिला रही थी, वह उसे ले कर भाग गई है.
समीना तुरंत अस्पताल के बाहर आई, लेकिन युवती वहां कहीं नहीं थी. तब तक अस्पताल में भरती प्रसूताओं के घर वाले भी बाहर आ गए थे. लोगों ने पूछताछ की तो पता चला, कंबल में बच्चे को लपेटे हुए एक युवती सफेद रंग की स्कूटी पर गई है. उस स्कूटी के पास पहले से ही एक और युवती खड़ी थी. दोनों स्कूटी से गई हैं.
करीब 10 घंटे पहले कोख से जन्मा कलेजे का टुकड़ा चोरी हो जाने से मनीषा पीली पड़ गई. उस की तबीयत खराब होने लगी तो उसे डाक्टरों ने संभाला.
भरतपुर के सरकारी अस्पताल से नवजात लड़का चोरी होने की घटना से पूरे अस्पताल में सनसनी फैल गई. मनीषा के ताया ससुर सद्दीक ने इस की सूचना मथुरा गेट थाना पुलिस को दी. पुलिस ने अपहरण का मामला दर्ज कर लिया.
पुलिस ने अस्पताल पहुंच कर जांचपड़ताल की. अस्पताल के बाहर वाहन पार्किंग वाले से पूछताछ में पता चला कि जिस स्कूटी पर दोनों युवतियां गई हैं, उस का नंबर 1361 है. यह नंबर पार्किंग वाले के पास रहने वाली आधी पर्ची पर लिखा मिला.
पार्किंग वाले ने वाहन की सीरीज व जिले का कोड नंबर नहीं लिखा था. पुलिस ने अस्पताल के अंदरबाहर और आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की रिकौर्डिंग खंगाली. कैमरों की फुटेज में एक युवती गोद में बच्चा लिए हुए जाती नजर आई.
पुलिस के पास जांच करने के लिए केवल सफेद रंग की स्कूटी का नंबर 1361 था. पुलिस को इसी के सहारे अपनी जांच करनी थी. भरतपुर के एसपी अनिल कुमार टांक ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एडीशनल एसपी सुरेश खींची और डीएसपी (सिटी) आवड़दान रत्नू के नेतृत्व में कई पुलिस टीमें गठित कीं.
पुलिस टीमों ने स्कूटी के अलावा रंजिशवश ऐसी वारदात करने और दूसरे कारणों को भी ध्यान में रखा. पुलिस को यह भी शक हुआ कि किसी पारिवारिक रंजिशवश तो बच्चे का अपहरण नहीं हुआ. इसी अस्पताल में उसी दिन एक प्रसूता के 2 जुड़वां नवजात बच्चों की मौत हो गई थी, इस एंगल पर भी बच्चा चोरी की आशंका को ध्यान में रख कर जांच की गई.
पुलिस का ध्यान इस बात पर भी गया कि युवती जब बच्चा ले जा रही थी तो उसे समीना ने देख लिया था. इस से घबरा कर उस ने कहीं नवजात को भरतपुर की सुजानगंगा नहर में न फेंक दिया हो.
पुलिस की एक टीम ने परिवहन कार्यालय जा कर जांचपड़ताल की तो भरतपुर में 1361 नंबर की 2 स्कूटी मिलीं. ये दोनों स्कूटी लाल रंग की थीं, जबकि बच्चा चोरी में इस्तेमाल की गई स्कूटी सफेद रंग की थी. इस पर आसपास के जिलों के परिवहन कार्यालयों की मदद लेने का निर्णय लिया गया.
मथुरा गेट थानाप्रभारी राजेश पाठक के नेतृत्व में एक पुलिस टीम ने सुजानगंगा नहर और आसपास के इलाकों में नवजात की तलाश की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला. पुलिस ने प्रसूता मनीषा के गांव से भी जानकारी कराई कि कोई आपसी रंजिश का ऐसा मामला तो नहीं है, जिस के चलते नवजात का अपरहण कर लिया जाए.
दूसरे दिन पुलिस ने भरतपुर और आसपास के अस्पतालों व निजी नर्सिंगहोमों में बच्चे की तलाश की. पुलिस का मानना था कि नवजात की तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए उसे किसी अस्पताल या नर्सिंगहोम में भरती कराया जा सकता है. लेकिन पुलिस को इस भागदौड़ में भी सफलता नहीं मिली.
जांच में एक तथ्य यह जरूर सामने आया कि बच्चे की अपहर्त्ता युवती एक दिन पहले और उस से पहले भी कई बार अस्पताल में रैकी करने आई थी. एक संभावना यह भी थी कि किसी की सूनी गोद भरने के लिए बच्चे की चोरी की गई हो.
पुलिस की एक टीम भरतपुर जिले के कुम्हेर भी भेजी गई. वहां 2 मृत बच्चों को जन्म देने वाली महिला बदहवास स्थिति में थी, इसलिए बच्चा चोरी की आशंका जताई गई थी, लेकिन वहां ऐसा कुछ नहीं मिला. फतेहपुर सीकरी में भी पुलिस टीम जांच करने गई, लेकिन नवजात का कोई सुराग नहीं मिला.
मामला उछलने पर दूसरे दिन पुलिस के साथ इस मामले की जांच बाल कल्याण समिति एवं अस्पताल प्रशासन ने भी शुरू की. अस्पताल प्रशासन ने जनाना अस्पताल की प्रभारी डा. ऊषा गुप्ता के नेतृत्व में 3 सदस्यीय जांच कमेटी बनाई.
पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद उन रास्तों पर जांच शुरू की, जहां से बच्चे को ले जाया गया था. इसी क्रम में पुलिस की टीमें जांच के लिए मथुरा और आगरा भेजी गईं. भरतपुर के पास सब से बड़ा शहर मथुरा और आगरा है. पुलिस की एक टीम ने भरतपुर के वाहन शोरूमों पर पहुंच कर सफेद रंग की स्कूटी की बिक्री के रिकौर्ड की पड़ताल की. इस के अलावा निस्संतान दंपतियों और बावरिया बस्ती में भी नवजात की खोजबीन की गई.
तीसरे दिन अस्पताल प्रशासन ने प्रसूता मनीषा, उस की सास समीना, दादी सास, देवर व अन्य परिजनों से कई घंटे पूछताछ की. उधर नवजात बेटे का कोई अतापता नहीं मिलने पर मनीषा रोरो कर बेहाल हो गई थी.
भरतपुर से मथुरा गई पुलिस टीम को 12 जनवरी को वहां के परिवहन कार्यालय का रिकौर्ड देखने के बाद 1361 नंबर की सफेद रंग की एक स्कूटी के बारे में पता चला. यह स्कूटी यूपी85 सीरीज की थी. पुलिस को इस स्कूटी के मालिक का नामपता मिल गया.
इस बीच, 12 जनवरी को ही पूरे भरतपुर जिले में यह अफवाह तेजी से फैल गई कि अस्पताल से चोरी हुआ नवजात भरतपुर शहर के पास सरसों के एक खेत में पड़ा मिल गया है. यह अफवाह पुलिस तक पहुंची तो जांचपड़ताल की गई.
कई लोगों की काल डिटेल्स निकलवाई गईं. जांच में सामने आया कि मनीषा के मायके से फोन आया था. उन लोगों को भी यह बात किसी और ने बताई थी.
घटना के चौथे दिन यानी 13 जनवरी की सुबह भरतपुर से 15 किलोमीटर दूर सांतरुक की सड़क पर गोवर्धन नहर के किनारे झाडि़यों में कंबल में लिपटा एक नवजात बालक मिला. यह नवजात मनीषा का ही बेटा था, जो 10 जनवरी को भरतपुर के अस्पताल से चोरी हुआ था.
झाडि़यों में पड़े इस नवजात को 2 बाइक सवार युवकों ने देखा था. उन्होंने शोर मचाया तो आसपास के लोग एकत्र हो गए.
कंबल में लिपटे नवजात के पास दूध की बोतल रखी थी. उस के सिर पर गर्म टोपा और पैरों में गर्म पायजामी थी. बच्चे के फुल स्लीव स्वेटर पर सेफ्टी पिन से एक पत्र लगा हुआ था. पत्र पर लिखा था, ‘यह बच्चा भरतपुर के जनाना अस्पताल से चोरी हुआ है, कृपया इसे इस के मांबाप को सौंप दें.’
लोगों की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची. नवजात को एंबूलेंस से भरतपुर के जनाना अस्पताल लाया गया. अस्पताल में 4 दिन से बदहवास पड़ी मनीषा ने अपने कलेजे के टुकड़े को देखते ही पहचान लिया.
मनीषा और उस की सास समीना ने बच्चे की बलाइयां लीं और उसे जी भर के दुलार किया. डाक्टरों ने नवजात का स्वास्थ्य परीक्षण कर के उसे आईसीयू में भरती करा दिया.
दूसरी ओर भरतपुर पुलिस ने मथुरा में 1361 नंबर की सफेद स्कूटी के मालिक का पता लगा कर स्कूटी जब्त कर ली. यह स्कूटी मथुरा के रामवीर नगर निवासी सेना के सूबेदार की पत्नी मीना देवी के नाम पर थी. पूछताछ के बाद पुलिस ने मीना देवी की शिक्षिका बेटी शिवानी को हिरासत में ले लिया.
शिवानी को पुलिस भरतपुर ले आई और उस से व्यापक पूछताछ की. पूछताछ के आधार पर पुलिस शिवानी की बहन प्रियंका को भी आगरा से भरतपुर ले आई.
भरतपुर की मथुरा गेट थाना पुलिस ने 14 जनवरी को दोनों बहनों को बच्चे के अपरहण के मामले में गिरफ्तार कर लिया. पुलिस पूछताछ में दोनों बहनों से जो कहानी पता चली, वह कुछ इस तरह थी—
मथुरा के रहने वाले सेना के सूबेदार लक्ष्मण सिंह जाट की शादी मीना देवी से हुई थी. कालांतर में उन के 4 बच्चे हुए. 3 बेटियां और 1 बेटा. उन्होंने 2 बेटियों की शादी कर दी थी, जबकि 14 साल के एकलौते बेटे की 2016 में असामयिक मौत हो गई थी. तीसरी 15 वर्षीय बेटी खुशबू मथुरा में मातापिता के पास रहती थी.
एकलौते भाई की मौत से दोनों बड़ी बहनों को तो झटका लगा ही, उन की मां मीना देवी डिप्रेशन में आ गई थीं. लक्ष्मण सिंह को बेटे की चाहत थी. इस के लिए रिश्तेदार और करीबी लक्ष्मण सिंह पर दूसरी शादी के लिए दबाव बना रहे थे. क्योंकि मीना देवी फिर गर्भवती नहीं हो पा रही थीं.
डिप्रेशन की हालत में मीना देवी ने एक बार सुसाइड करने का भी प्रयास किया था. उन्होंने कोई बेटा गोद लेने की भी कोशिश की थी, लेकिन सफलता नहीं मिली थी. मां का घर न उजड़े, इस के लिए दोनों बड़ी बेटियां शिवानी व प्रियंका तरकीब सोचने लगीं. दोनों बहनों के नाना लाल सिंह भी चाहते थे कि उन की बेटी मीना का घर बसा रहे. इस बीच दोनों बहनों ने पिता व अन्य घर वालों के बीच यह बात फैला दी कि उन की मां गर्भवती है.
दोनों बहनों ने किसी नवजात को खरीदने के लिए मथुरा व आगरा के निजी अस्पतालों में भी बात की थी. एक नर्स के माध्यम से बच्चा खरीदने की बात तय भी हो गई थी, लेकिन जिस प्रसूता का बच्चा लेना था, उस की मौत हो गई. इस से दोनों बहनों को अपनी मां के गर्भवती बताने की योजना पर पानी फिरता नजर आया.
इस के बाद मीना देवी के पिता लाल सिंह कई दिनों तक हरियाणा के मेवात इलाके में नवजात खरीदने के लिए घूमे. उन्हें किसी नर्स ने बताया था कि मेवात इलाके में गरीब लोग सक्षम न होने के कारण नवजात बच्चा बेच सकते हैं.
काफी प्रयासों के बाद भी जब किसी नवजात का इंतजाम नहीं हुआ तो दोनों बहनों शिवानी व प्रियंका ने अपनी मां के लिए बच्चा चोरी करने की योजना बनाई. इस के लिए उन्हें भरतपुर का सरकारी अस्पताल सुरक्षित जगह लगी. इस पर दोनों बहनें 9 जनवरी को भरतपुर आईं और अस्पताल में किसी नवजात बच्चे की तलाश की, लेकिन वे किसी बच्चे को ले जाने में कामयाब नहीं हुईं.
इस के अगले दिन 10 जनवरी को दोनों बहनें मां की स्कूटी से मथुरा से भरपुर आईं. उन्होंने अपनी स्कूटी जनाना अस्पताल के बाहर पार्किंग में खड़ी की. शिवानी अस्पताल में अंदर चली गई, जबकि प्रियंका अस्पताल के अंदरबाहर चक्कर लगा कर शिवानी पर नजर रखती रही.
शिवानी ने अस्पताल के वार्ड में भरती मनीषा की सास की गोद में नवजात को देख कर सब से पहले यही पूछा कि लड़का है या लड़की.
समीना ने जब उसे बताया कि लड़का है तो शिवानी को अपनी योजना सफल होती नजर आई. उस ने समीना और मनीषा को बातों में लगा कर बच्चे को अपनी गोद में ले लिया. इस बीच समीना जब चायनाश्ता करने अस्पताल से बाहर चली गई तो शिवानी ने मनीषा को शौचालय चलने की बात कही. मनीषा के शौचालय में घुसते ही शिवानी बच्चे को ले कर तेजी से अस्पताल से बाहर निकल आई.
प्रियंका ने उसे बच्चे के साथ आता देख कर पार्किंग से स्कूटी निकाल ली. इस दौरान समीना ने अपने पोते का कंबल पहचान कर शिवानी को टोका तो वह रुकने के बजाय बाहर स्कूटी ले कर तैयार खड़ी प्रियंका के साथ भाग निकली.
दोनों बहनें स्कूटी से बच्चे को ले कर भरतपुर से सीधे मथुरा पहुंचीं. मथुरा से उन्होंने मां मीना देवी और आगरा में नाना लाल सिंह को बच्चा खरीद कर लाने की बात बताई. बाद में प्रियंका अपनी ससुराल आगरा चली गई.
जांच में सामने आया कि वारदात के बाद दोनों बहनें पुलिस की गतिविधि पर नजर रखे हुए थीं. पुलिस का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा था. यह देख कर दोनों बहनें 13 जनवरी की सुबह बच्चे को भरतपुर सीमा में रारह में सांतरुक स्थित नहर के पास लावारिस छोड़ कर लौट आई थीं.
दोनों बहनों में 20 साल की प्रियंका छोटी है और 23 साल की शिवानी बड़ी. मथुरा के रहने वाले पुष्पेंद्र जाट की पत्नी शिवानी एक निजी स्कूल में शिक्षिका है, जबकि मूलरूप से उत्तर प्रदेश के हाथरस के सरूपा नौगावां निवासी और आजकल आगरा में रह रहे भूपेंद्र सिंह जाट की पत्नी प्रियंका बीए की पढ़ाई कर रही है.
शिवानी को औपरेशन से बेटी हुई थी. उसे डाक्टरों ने 2 साल तक बच्चा पैदा नहीं करने की सलाह दी थी. प्रियंका शादी के तुरंत बाद गर्भवती हो गई थी, लेकिन परीक्षा होने के कारण उस ने गर्भपात करा दिया था. इस से उस के ससुराल वाले नाराज थे. वारदात के दौरान वह 15 दिन से मायके में थी.
पुलिस ने शिवानी व प्रियंका को 15 जनवरी, 2018 को अदालत में पेश किया. अदालत ने दोनों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया. शिक्षा के पेशे से जुड़ी और एक बेटी की मां शिवानी ने पढ़ीलिखी छोटी बहन के साथ मिल कर अपनी मां का टूटता घर बसाए रखने के लिए बच्चे को चुरा कर एक मां को जो यातना दी, उस अपराध के लिए कानून उन्हें सजा देगा. लेकिन इस वारदात ने दोनों के घर वालों व ससुराल वालों के सिर भी शर्म से झुका दिए.
VIDEO : रेड वेलवेट नेल आर्ट
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