बिहार में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों को मिलने वाली प्रीमैट्रिक स्कौलरशिप में जम कर लूटखसोट का खेल खेला गया और करोड़ों रुपए की लूट की गई. क्लास एक से 10वीं तक के बच्चों को स्कौलरशिप का पैसा दिया जाना था. दलितपिछड़े बच्चों के कैरियर को अंधेरे में ले जाते हुए घोटालेबाजों ने स्कौलरशिप की रकम की बंदरबांट के लिए न केवल फर्जी बैंक खाते खोले, बल्कि फर्जी स्कूल और गांव तक बना डाले.

खास बात यह है कि पटना जिले के बच्चों को मिलने वाली स्कौलरशिप की रकम नागपुर और आंध्र प्रदेश के बैंकों तक पर्सनल अकाउंट में पहुंच गई. ज्यादातर खातों में जिस बैंक का पता बताया गया है, वह जाली है. स्कौलरशिप की रकम विद्यालय शिक्षा समिति के खाते में डालने के बजाय घोटालेबाजों के पर्सनल खाते में डाली गई. घोटालेबाजों की हिम्मत तो देखिए कि उन्होंने फर्जी स्कूल ही नहीं बनाए, बल्कि बैंकों की फर्जी ब्रांचें बता कर दूसरी ब्रांचों में रुपए डलवा दिए. कल्याण महकमे ने जब बैंकों को स्कूल के खातों की लिस्ट भेजी, तो घोटाले का खुलासा हुआ. लिस्ट में बैंकों के आईएफएससी कोड की जांच की गई, तो ज्यादातर ब्रांच दूसरी जगह की निकलीं. कल्याण महकमे ने स्कूलों में भेजने के लिए 28 दिसंबर, 2015 और 30 जनवरी, 2016 को 2 करोड़, 19 लाख, 60 हजार रुपए ट्रांसफर करने का आदेश जारी किया था. इन में से एक करोड़, 93 लाख, 17 हजार, 6 सौ रुपए कल्याण महकमे की लिस्ट में शामिल स्कूलों के बैंक खातों में भेजने के बजाय फर्जी तरीके से दूसरे खातों में ट्रांसफर करा लिए गए. गड़बड़ी पता लगने के बाद पूरे मामले की जांच की जा रही है. जांच के दौरान अब तक 36 आरोपियों पर एफआईआर दर्ज की गई है. पटना के साथसाथ आंध्र प्रदेश, नागपुर, समस्तीपुर, बाढ़, विक्रम के पते दे कर दलालों ने बैंक खातों के जरीए पैसे निकाल लिए हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...