अदालती फरमान चाहे कुछ भी हो लेकिन समलैंगिक समुदाय खुद के अधिकारों और स्वभाव को न तो अनैतिक मानता है और न ही गैरकानूनी. शायद इसीलिए देश भर में जहां कई समलैंगिक जोड़े शादी कर अपनी गृहस्थी बसा रहे हैं वहीं फैशन, सिनेमा और अन्य क्षेत्रों की हस्तियां अपनी समलैंगिक प्रकृति को उजागर करने से परहेज नहीं कर रहीं. इस संवेदनशील मसले की अंदरूनी समस्याओं, सरकारी नजरिए और सामाजिक परिप्रेक्ष्यता का विश्लेषण कर रही हैं साधना शाह.
पश्चिम बंगाल की राजधानी ?कोलकाता के एक उपनगर मध्यमग्राम का बादू महल्ला. यहां रूपम और काजल ने अपनी गृहस्थी बसाई. अपने घर वालों से विद्रोह कर. विद्रोह की नौबत इसलिए आई क्योंकि रूपम और काजल समलैंगिक हैं और उन की गृहस्थी एक गे गृहस्थी है. एक दशक पहले उत्तर कोलकाता के एक मंदिर में सिंदूर लगा कर दोनों ने एकदूसरे को अपनाया. हालांकि इस ब्याह को कानूनी मान्यता नहीं है और न ही मिल सकती है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के तहत समलैंगिक संबंध अपराध की श्रेणी में आ गया है. रूपम और काजल दोनों पुरुष हैं. उन की गृहस्थी में काजल महिला भूमिका निभाता है. दरअसल, पल्लव लिंग परिवर्तन के बाद काजल बना है. दोनों ने अपने घर वालों से अलग हो कर ब्याह रचाया और उस के बाद दोनों अन्य ‘स्टे्रट’ दंपतियों की तरह अपना गृहस्थ जीवन जी रहे हैं.
दक्षिण कोलकाता में एक और समलैंगिक गृहस्थी है सरोज और रजिंदर की. ये दोनों महिला समलैंगिक हैं. नदिया जिले के एक कसबे की दोनों सहेलियों को एकदूसरे में अपना जीवनसाथी मिल गया. पर घर वाले ऐसे संबंध के लिए तैयार नहीं हुए. दोनों के परिवार ने उन पर कड़ी पाबंदी लगा दी. लेकिन एक दिन दोनों अपने घरों से भाग कर दक्षिण कोलकाता के गडि़याहाट के एक मकान में बतौर पेइंग गैस्ट रहने लगे. वे अपने लिव इन रिलेशन में बहुत खुश हैं.
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