जल संसाधन महकमे के चतुर्थ श्रेणी के एक मुलाजिम नामदेव नागले को अपनी बेटी की शादी के लिए पैसों की जरूरत थी. इस बाबत उन्होंने अपने जीपीएफ के पैसे निकालने के लिए फौर्म भरा. उन्हें 1 लाख 65 हजार रुपए की राशि मंजूर भी हो गई पर अड़ंगा डाल दिया एक क्लर्क रमाशंकर मौर्य ने कि बगैर 4 हजार रुपए की घूस लिए वह यह राशि जारी नहीं करेगा.
इस पर नामदेव का बड़बड़ाना लाजिमी था क्योंकि एक महीने बाद मई में उन की बेटी की शादी थी. यह जानते हुए भी कि जीपीएफ का पैसा उन का हक है, वे मन मार कर रिश्वत देने को तैयार हो गए.
अप्रैल के पहले हफ्ते में नामदेव नागले ने घूस के एक हजार रुपए एडवांस में दे भी दिए और रमाशंकर के आगे गिड़गिड़ाए कि राशि खाते में आते ही बाकी 3 हजार रुपए भी दे देंगे. पर इस बाबू को तजरबा था कि घूस देने के मामले में लोग इतने ईमानदार नहीं होते कि काम हो जाने के बाद बकाया रकम दे दें, इसलिए वह अंगद के पांव की तरह अड़ गया कि बाकी पैसे दो, तभी भुगतान होगा.
इस पर हैरानपरेशान नामदेव के बेटे राजू ने लोकायुक्त पुलिस में शिकायत कर दी. 6 अप्रैल को रमाशंकर भोपाल के जुबली गेट पर पहुंचा तो लोकायुक्त पुलिस ने उसे राजू से घूस लेते रंगे हाथों धर लिया.
बेअसर खबरें
इस और ऐसी खबरों का कोई असर अब किसी पर पड़ता हो, ऐसा कतई नहीं लगता. देशभर में रोजाना सैकड़ों लोग घूस लेते पकड़े जाते हैं. इस से लगता यह है कि घूसखोरी को एक सामाजिक मंजूरी मिल चुकी है.