शर्मसार कर देने वाला जुड़वा भाइयों की हत्या का मामला 12 फरवरी 2019 का है. चित्रकूट के सद्गुरु पब्लिक स्कूल से दोपहर 12.25 बजे पिस्टल की नोंक पर उन का अपहरण हुआ था. 2 बदमाशों ने इन बच्चों को उठाया था. अपहरण के बाद 20 लाख रुपए की फिरौती भी वसूली गई, इस के बावजूद बच्चों की हत्या कर दी गई. वह भी महज इसलिए कि जब इन बच्चों से पूछा गया कि क्या वे उन्हें पहचान लेंगे तो इन बच्चों ने हां कह दिया था. यही डर आरोपियों के मन में बैठ गया और जुड़वा भाइयों को जिंदा ही पत्थर बांध कर नदी में फेंक दिया गया.
मध्य प्रदेश के चित्रकूट से अगवा हुए 5 साल के जुड़वा बच्चों की हत्या के बारे में जिस ने भी सुना, उस का दिल रो पड़ा. बच्चों के शवों को जब परिजनों ने देखा तो वे फूटफूट कर रोने लगे. बच्चे उसी यूनीफार्म में थे, जिस में उन्होंने 12 फरवरी को तैयार कर के स्कूल भेजा गया था. उन के हाथपैर जंजीर से बंधे हुए थे.
हालांकि घटना को अंजाम देने वाले 6 गुनाहगारों को पुलिस ने पकड़ लिया है. इन में से रामकेश यादव इन बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता था, जबकि पद्म बजरंग दल के संयोजक का भाई है. बाकी आरोपी बांदा व हमीरपुर के रहने वाले हैं. पद्म और लकी इंजीनियरिंग के छात्र हैं. आरोपियों ने इस कांड को अंजाम देने के लिए बाइक और बोलैरो कार का इस्तेमाल किया था. बाइक पर ‘राम राज्य’ लिखा था, जबकि बोलैरो कार पर भाजपा का झंडा था.
रीवा जोन के आईजी चंचल शेखर ने बताया कि बच्चों की तलाश के लिए पुलिस के 500 जवान लगाए गए थे, लेकिन फिर भी इन बच्चों को बचाया नहीं जा सका. गुनाहगारों ने पहले बच्चों के आरोपी लकी के चित्रकूट में बने किराए के घर में 2 दिन के लिए रखा था.
यह किराए का कमरा एक सुनसान जगह पर था और आरोपी खुद को बाहर से बंद रखते थे ताकि किसी को यहां छिपे होने का शक न हो. बाद में वे जुड़वा भाइयों को बांदा के अटर्रा इलाके में एक दूसरे किराए के घर में ले गए थे, जहां उन्होंने हत्या से पहले तक बच्चों को छिपाए रखा था.
गैंग के सदस्य काफी होशियार थे. टेक सेवी इंजीनियरिंग स्टूडेंट स्पूफिंग ऐप के जरीए नंबर छिपाते थे. इस तरह वह साइबर पुलिस से एक कदम आगे की योजना बना कर खुद को बचाने में कामयाब रहे थे. फिरौती मांगने के लिए वे अपने सेल फोन का इस्तेमाल नहीं करते थे बल्कि अजनबियों और राहगीरों से जरूरी बात कह कर फोन मांगते थे तब बात करते थे.
आईजी चंचल शेखर का कहना है कि जब एक राहगीर को इन मोटरसाइकल सवारों की बात पर शक हुआ तो उस ने मोटरसाइकिल की तसवीर उतार ली. पुलिस ने जब फोन पर संपर्क किया तो संबंधित व्यक्ति ने आरोपियों की मोटरसाइकिल की तसवीर मुहैया करा दी. जब पुलिस ने तहकीकात की तो बाइक रोहित द्विवेदी की निकली. वह बबेरू थाना इलाके का रहने वाला निकला और पुलिस एकएक कर 6 आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफल रही. पर तब तक आरोपी फिरौती के 20 लाख रुपए लेने के बाद दोनों बच्चों को यमुना नदी में फेंक चुके थे.
आरोपियों को डर था कि बच्चों ने उन्हें पहचान लिया है और बच्चे राज खोल देंगे, जिस से उन की गिरफ्तारी होना तय है. हालांकि 20 लाख रुपए मिलने के बाद आरोपी बच्चों को छोड़ने का मन बना रहे थे लेकिन छोड़ने से पहले उन्होंने बच्चों से सवाल किया कि पुलिस पूछेगी तो क्या वह उन्हें पहचान लेंगे तो इस पर बच्चों ने मासूमियत से हां में जवाब दे दिया. आरोपियों ने दोनों बच्चों की पीठ पर पत्थर बांधने के साथसाथ हाथपैर भी लोहे की जंजीरों से बांध दिए और नदी में फेंक दिया.
आरोपियों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने वीडियो गेम के जरीए बच्चों को अपने कब्जे में रखा और बच्चों से उन की अच्छी दोस्ती भी हो गई थी. फिर भी बच्चों को मारने से पहले इन गैंग वालों का दिल नहीं पसीजा.
जुड़वा बच्चों प्रियांश और श्रेयांश के पिता बृजेश रावत ने कहा कि मेरे बेटों को जिंदा ही नदी में फेंक दिया. फिरौती भी ले ली और बच्चों को खत्म भी कर दिया. केवल पैसों के लिए.
बृजेश रावत कहते हैं कि अपहरणकर्ताओं ने बच्चों से पिता की 18-19 फरवरी की शाम 4 बजे के आसपास बात कराई थी. आरोपियों ने 2 करोड़ की फिरौती मांगी थी और 20 लाख रुपए 19 फरवरी को गुनाहगारों को दे भी दिए थे.
वे आगे कहते हैं कि आरोपियों को फांसी पर लटका देना चाहिए. ऐसे लोग समाज में रहने लायक नहीं हैं.
बता दें कि अपहरण करने वालों में सीतापुर का रहने वाला टीचर रामकेश यादव है. वह इन बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने घर जाता था. उस ने ही अपने साथियों से कहा था कि इन बच्चों के पिता के पास बहुत पैसा है. टीचर रामकेश ने ही मुख्य आरोपी पद्म शुक्ला के साथ साजिश रची थी. आरोपी पद्म शुक्ला का छोटा भाई विष्णुकांत बजरंग दल का एरिया कोआर्डिनेटर है. इस केस में विष्णुकांत का कोई रोल नहीं है पर इस वारदात में कार और बाइक का इस्तेमाल किया गया.
हत्या करने से पहले अपहरणकर्ताओं ने शुरुआती 4 दिनों तक इन जुड़वा बच्चों को जगह बदलबदल कर रखा था. फिरौती की रकम मिलने के बाद जुड़वा भाइयों की पानी में डुबो कर हत्या कर दी.
बांदा जिले के मरका घाट में मंदिर के पास दोनों भाइयों को जंजीर से बांधा और फिर एक और जंजीर से पत्थर बांध कर घाट के नीचे फेंक दिया.
इन जुड़वा मासूमों की हत्या के बाद चित्रकूट में सैकड़ों लोगों ने सद्गुरु सेवा ट्रस्ट में तोडफ़ोड़ की. पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दाग कर भीड़ को खदेड़ा. इस लाठीचार्ज में 12 लोग घायल हो गए. अनहोनी की आशंका को देखते हुए इलाके में 1500 पुलिस वाले तैनात किए गए हैं.
परिवार से मुलाकात करने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने अपने ट्विटर हैंडल से लिखा कि मैं सोना चाहता हूं, लेकिन आंखों में नींद नहीं है, मन बेचैन है, कैसे शांति पाऊं, यही सोच रहा हूं. अभी प्रियांश और श्रेयांश दोनों बेटों के पिता से मिल कर आ रहा हूं. मेरी अंतरात्मा रो रही है, मन दर्द से भरा हुआ है आखिर कोई इतना हृदयहीन कैसे हो सकता है कि मासूम बच्चों को जिन के पिता ने उन्हें बचाने के लिए फिरौती दे दी थी, उन को मारने में हाथ भी न कांपे…
मुख्यमंत्री रह चुके शिवराज सिंह चौहान ने यह भी लिखा कि मानवता शर्मसार हुई है, संवेदनाएं मर गई हैं. जब उन के पिता का दर्द देखा तो नि:शब्द हो गया, कहने को शब्द नहीं थे. पिता की एक ही मांग है कि अपराधियों को ऐसी सजा दी जाए कि फिर कोई दूसरे बच्चे प्रियांश और श्रेयांश की तरह तड़पातड़पा कर न मारे जाएं.
वहीं मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि गाड़ी में किस का झंडा लगा था, यह सामने आ गया है. इस घटना के पीछे जरूर कोई राजनीति है. अपराधी कहां से आ रहे थे? इस के पीछे किस का हाथ है…? विपक्ष डरा हुआ है, क्योंकि उन के लोग इस में शामिल हैं. जल्द ही सब साफ हो जाएगा. मैं ने बच्चों के पिता बृजेश रावत से फोन पर बात की है. मुझे इस घटना का दुख है. इस वारदात में शामिल गुनाहगारों को नहीं बख्शा जाएगा.
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि घटना को किसी और दिशा में मोड़ दिया जा रहा है, ताकि भ्रम बना रहे और अपनी असफलता को छिपा सकें.
वहीं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार हर मोरचे पर नाकाम है. कानून व्यवस्था के नाम पर जंगलराज है. अपराधी बेखौफ हैं. प्रदेश के नागरिक भयभीत हैं. उन की सुरक्षा प्रशासन तंत्र से नहीं, बल्कि अपराधियों, माफिया गिरोह की मेहरबानी पर निर्भर हो गई है.
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शपथ लेते ही दावे किए थे कि अब अपराधी या तो जेल में होंगे या फिर प्रदेश छोड़ कर चले जाएंगे. लेकिन सचाई यह है कि अब तो दूसरे राज्यों के अपराधी भी उत्तर प्रदेश को सुरक्षित पनाहगाह मानने लगे हैं. दुख है कि अब मांबाप बच्चों को स्कूल भेजने से भी डरेंगे.
पकड़े गए आरोपियों के नाम
1- राजीव द्विवेदी उर्फ रोहित, निवासी भभुआ, बबेरू, बांदा.
2- पद्म शुक्ला, जानकी कुंड, रघुवीर मंदिर के सामने, नयागांव, चित्रकूट, सतना.
3- आलोक सिंह उर्फ लकी सिंह तोमर, निवासी ग्राम तेदुरा, बिसंडा, बांदा.
4- विक्रमजीत सिंह, बिलपुर, थाना बहिलपुर, जिला जमुआ, बिहार.
5- रामकेश यादव, निवासी छेरा, बांदा.
6- पिंटू उर्फ पिंटा, निवासी गुरदहा, हमीरपुर, उत्तर प्रदेश.