दिन मंगलवार, 12 जुलाई, स्थान रांची यूनिवर्सिटी प्रांगण, अवसर रांची यूनिवर्सिटी का 56वां स्थापना दिवस समारोह. शिक्षा मंत्री द्वारा खिलाड़ियों को सम्मानित किया जा रहा था. इसी दौरान झारखंड की शिक्षा मंत्री, एक महिला खिलाड़ी, 'परिणीता' की कहानी सुन कर रो पड़ीं. उन्होंने तुरंत उसे मंच पर बुलाया. 50 हजार रुपयों की सहायता की घोषणा के साथ उसे गले से लगा लिया. परिणीता की आंखें छलक पड़ी.

जानना चाहेंगे, परिणीता की जिंदगी की कहानी में ऐसा क्या खास था जो खेलमंत्री भी खुद को भावुक होने से रोक नहीं सकीं.

दरअसल झारखंड की राजधानी रांची से 13 किमी दूर कांके के सुंडिल गांव की रहने वाली परिणीता तिर्की फुटबॉल और नेटबॉल खिलाड़ी हैं. उन्होंने कई बार झारखंड का नाम रोशन किया. मगर जिंदगी ने उन्हें कभी भी आसान रास्ते नहीं दिए. हमेशा उन्हें कंटीले पथरीले रासतों से ही गुजरना पड़ा. कदम-कदम पर आर्थिक कठिनाइयों व दूसरी बोझिल परिस्थितियों का सामना करना पड़ा.

छोटी सी उम्र में ही उन्होंने अपने पिता को खो दिया. घर में खाने के लाले पड़ गए. मां की तबियत भी  ठीक नहीं रहती थी. इस सब के बावजूद परिणीता ने अपना मनोबल टूटने नहीं दिया.

मजदूरी करने के साथ उन्होंने खेल का अभ्यास और पढ़ाई भी जारी रखी. सुबह जल्दी उठ कर और घर के काम निबटा कर वह साइकिल से 6 किमी दूर स्कूल में पढ़ाने जाती है फिर कड़ी धूप और धूलमिट्टी में रोज मजदूरी का काम कर थकी होने के बावजूद कांके डैम के पास के मैदान में करीब 30 गरीब बच्चों को फुटबॉल की ट्रेनिंग देती हैं और अपना अभ्यास भी करती हैं.

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