वाकेआ 3 जून का मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के सागर शहर का है. इस दिन लोकायुक्त पुलिस ने एक पटवारी आनंद खत्री को एक किसान शिवम ठाकुर से साढ़े

3 हजार रुपए की घूस लेते रंगेहाथों पकड़ा था. शिवम बहुत दिनों से अपने दादा प्रहलाद ठाकुर की जमीन के सीमांकन के लिए तहसील और इस पटवारी के चक्कर काट रहा था पर पटवारी बगैर घूस लिए काम करने को तैयार नहीं हो रहा था.

पुश्तैनी जमीन के सीमांकन के अपने हक के लिए क्यों घूस दें, यह सोचते नौजवान किसान शिवम ने रैवेन्यू इंस्पैक्टर से शिकायत की तो रैवेन्यू इंस्पैक्टर ने पटवारी को हिदायत दी कि वह बगैर घूस लिए सीमांकन करे पर पटवारी को नहीं मानना था, सो वह नहीं माना.

घूस दे कर काम करवाने का सीधा तरीका अपनाने के बजाय शिवम ने इस की शिकायत लोकायुक्त पुलिस से भी कर दी जिस से घूसखोर पटवारी रंगेहाथों धरा गया. पटवारी अपनी इस जिद पर अड़ा था कि घूस का जो रेट सीमांकन के लिए चल रहा है, वह उसी के मान से घूस लेगा यानी 7 एकड़ जमीन के 7 हजार रुपए. इस पर हैरानपरेशान शिवम ने वही किया जो एक जागरूक किसान को करना चाहिए.

यह वह वक्त था जब पूरा सूबा खासतौर से मालवा और निमाड़ इलाके किसान आंदोलन और उस से उपजी हिंसा की आग में झुलस रहे थे. किसानों के इस गुस्से का किसी पटवारी तो दूर, आला अफसरों और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक पर कोई असर नहीं पड़ रहा था. मुट्ठीभर किसान हैं, 2-4 दिन हल्ला मचा कर वापस अपने खेतखलिहानों में चले जाएंगे, यह सोचते किसी के कानों पर जूं नहीं रेंग रही थी. कम ही लोगों को अंदाजा था कि जो परेशानी शिवम ठाकुर उठा रहा था वैसी दर्जनों परेशानियां न केवल सूबे के बल्कि देशभर के तमाम किसानों को रोजाना उठानी पड़ती हैं.

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