लाल किला एक ऐतिहासिक धरोहर है आजादी के पहले और बाद का साक्षी है. 2024 अगस्त 15 की वह तारीख कभी भुलाई नहीं जाएगी जब नरेंद्र मोदी की सरकार ने एक तरह से लोकतंत्र को कमजोर बनाने और अपने जेब में रखने का जो प्रयास किया. आईए, आज हम आप को बताते हैं वह दृश्य जो शायद आप नहीं देख पाए मगर देश दुनिया ने देखा.
दरअसल, आप की मंशा क्या है वह आप के व्यवहार और कर्म से दिखाई देती है. नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में विपक्ष के साथ जिस तरह सौतेला और छोटेपन का व्यवहार किया जा रहा है वह लोकतंत्र और आजादी का ही अपमान है. इस का सब से बड़ा उदाहरण नेता प्रतिपक्ष के रूप में राहुल गांधी को लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन के दरमियान केंद्र सरकार द्वारा जिस तरह पांचवी पंक्ति में बैठाना बता गया कि दरअसल नरेंद्र मोदी के जुबान पर कुछ और होता है और मन में कुछ और होता है. और सरकार कोई मौका नहीं छोड़ती राहुल गांधी का अपमान करने से.
अगर ऐसा नहीं था तो राहुल गांधी को छोटा दिखाने का यह प्रयास क्यों किया गया और जिस व्यक्ति ने यह नई व्यवस्था की है वह कौन है? और यह नई व्यवस्था क्यों की गई? पहले से एक डेकोरम चला आ रहा है नेता प्रतिपक्ष को प्रथम पंक्ति में स्थान दिया जाता था. मगर शायद नरेंद्र मोदी राहुल गांधी को फूटी आंख नहीं देखना चाहते हैं यह एक बार फिर सिद्ध हो गया है.
इस की देश में प्रतिक्रिया हुई है. जहां कांग्रेस में ऐसे एक परंपरा बताया है वहीं देश भर में संदेश चला गया कि केंद्र में जब से नरेंद्र मोदी सरकार पादरी हुई है विपक्ष को लगातार कमजोर करती चली जा रही है. यही कारण है कि संसद में भी विपक्ष को ज्यादा समय नहीं दिया जाता या फिर उन का माइक बंद हो जाता है और अब राष्ट्रीय पावन पर्व स्वाधीनता दिवस के अवसर पर जब नरेंद्र मोदी लाल किले से देश को संबोधित करते हैं तो विपक्ष को अपमानित करते हुए पीछे से पीछे का स्थान दिया जाता है. जबकि सरकार को यह नहीं भूलना चाहिए कि संवैधानिक रूप से नेता प्रतिपक्ष के रूप में राहुल गांधी हो या कोई भी व्यक्ति वे अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं और देश की जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं. और सब से बड़ी बात तो यह है कि कभी नहीं भूलना चाहिए कि कल जब हम विपक्ष में होंगे तो हमारे साथ भी ऐसा ही व्यवहार होगा तब हमें कैसा महसूस होगा.
राहुल गांधी से कैसा भय
केंद्र सरकार के इस जग जाहिर निर्णय से यह स्पष्ट हो जाता है कि नरेंद्र मोदी की सरकार राहुल गांधी से कुछ ज्यादा ही नफरत करती है. यही कारण है कि संवैधानिक रूप से प्रधानमंत्री के बाद दूसरे नंबर पर आसीन नेता प्रतिपक्ष के स्थान को परिवर्तित कर दिया जाता है. और तर्क दिया जाता है कि ओलिंपिक खिलाड़ियों को सम्मान दिया जा रहा है, ऐसा कर के मोदी सरकार और नरेंद्र मोदी अपना स्थान छोटा कर रहे हैं. कहावत भी है कि बैरी को ऊंचा स्थान दिया जाना चाहिए, मगर यहां मोदी के सामने राहुल गांधी बैरी नहीं है वह इस देश के एक नेता प्रतिपक्ष के रूप में लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
दूसरी तरफ कांग्रेस नेता और विधि विशेषज्ञ विवेक तन्खा ने स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में राहुल गांधी के बैठने की तस्वीर साझा करते हुए ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘रक्षा मंत्रालय इतना तुच्छ व्यवहार क्यों कर रहा है. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी चौथी पंक्ति में बैठे. नेता प्रतिपक्ष किसी भी कैबिनेट मंत्री से ऊपर हैं. लोकसभा में वह प्रधानमंत्री के बाद हैं.’’
आगे लिखा, ‘‘राजनाथ सिंहजी, आप रक्षा मंत्रालय के राष्ट्रीय कार्यक्रमों का राजनीतिकरण नहीं होने दे सकते. आप से ऐसी उम्मीद नहीं थी, राजनाथजी.’’
कुल जमा ऐसा लगता है कि राहुल गांधी नरेंद्र मोदी के लिए एक भय का कारण हैं. मनोविज्ञान के अनुसार भी जब कोई किसी से भयभीत होता है उस की उपेक्षा करता है. हमारी तो यही नसीहत है नरेंद्र मोदीजी आप गौरवशाली पद पर विराजमान हैं, अपना दिल बड़ा रखना चाहिए और विपक्ष को वैसे ही सम्मान देना चाहिए जैसा परंपरा रही है. प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से ले कर डाक्टर मनमोहन सिंह तक.