पश्चिम बंगाल के गोसाबा विधानसभा इलाके के तमाम किसानों को मकान, कपड़े, रोटी, पानी, बिजली व सड़कों जैसी सहूलियतें नहीं चाहिए. उन्हें तो खतरनाक चूहों से नजात दिलाने वाले सूरमा की दरकार है. इलाके के किसानों को ऐसे बांसुरी बजाने वाले की दरकार है, जो वहां के खेतों में फसलों के लिए काल बन चुके चूहों को भगा सके. बात अजीब सी है, मगर इस में दम है यानी यह हकीकत है.

असलियत तो यह है कि सुंदरबन जिले के गोसाबा इलाके में चूहों की आबादी बेहद तेजी से बढ़ रही है और वे फसलों को जम कर बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा रहे हैं. इस मुसीबत से जूझ रहे किसानों को हेमलिन शहर जैसा हल चाहिए, जहां बांसुरी वादक ने मीठी धुन बजा कर चूहों को भगा दिया था.

किसानों से यह पूछने पर कि वे नई सरकार से क्या उम्मीद करते हैं, उन्होंने कहा कि सरकार उन्हें चूहों से नजात दिलाए. उन्होंने कहा कि वे आइंदा भी उसी पार्टी को वोट देंगे, जो उन्हें चूहों के कहर से नजात दिला सके. गोसाबा इलाके के अलावा अन्य कई इलाके भी चूहों की समस्या झेल रहे हैं. आरएसपी उम्मीदवार उत्तम कुमार साहा का कहना है कि पार्टी लोगों के पास चूहों की समस्या का हल ले कर जाएगी और गांव वालों को खुश कर देगी. उन्होंने बताया कि चूहे कैसे खेतों में गदर मचाते हैं. चूहे आलू से ले कर धान तक खा रहे हैं और बरबाद कर रहे हैं.

इलाके के लोगों का कहना है कि साल 2009 में आए आइला चक्रवात की वजह से बड़ी तादाद में सांप खत्म हो गए थे. सांपों के न होने से चूहों की आबादी में बहुत तेजी से इजाफा हुआ था. यही बेहिसाब चूहे अब किसानों के जी का जंजाल बन चुके हैं. इसी सिलसिले में लाहिरपुर गांव के किसान संजय साहा का कहना है कि पिछले साल चूहों ने उन के 200 किलोग्राम आलू और 120 किलोग्राम धान को बरबाद कर के खास नुकसान पहुंचाया था. संजय ने जिला प्रशासन से इस मामले में फरियाद भी की थी, लेकिन उन की फरियाद पर गौर नहीं किया गया.

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