उत्तर प्रदेश का शामली जिला गन्ने की खेती के लिए पूरे देश में जाना जाता है. अपनी जमापूंजी लगा कर गन्ना पैदा करने वाले किसान जब मिलों में गन्ने को बेचने जाते हैं तो उन्हें समय पर भुगतान नहीं मिलता. आज किसान करोड़ों के भुगतान के लिए तरस रहे हैं. चीनी मिलें उन के करीब 300 करोड़ रुपए दबाए बैठी हैं. इसी जिले के कैराना में पलायन के मामले में एक तरफ जहां राजनीति गरमाई हुई है, वहीं किसानों की समस्या को सुनने वाला कोई नहीं है. किसान हताशा और परेशानी के शिकार हो रहे हैं. गन्ना बैल्ट के लिए मशहूर शामली की कमाई गन्ने पर टिकी है. जनपद का कुल कृषि रकबा 1,60,997 हेक्टेयर है. 58000 हेक्टेयर रकबे में गन्ना उपजाया जाता है. इस के अलावा 19075 हेक्टेयर में धान, जबकि 49606 हेक्टेयर रकबे में गेहूं की खेती होती है.
गन्ना उत्पादन के मामले में पश्चिमी यूपी में शामली भले ही सब से आगे हो, लेकिन इस के बावजूद पिछले 3 साल में गन्ना किसानों की हालत बद से बदतर होती जा रही है. किसान पूरे साल मेहनत करता है. खास बात यह भी है कि प्रदेश में शामली जिला 2 साल से गन्ने के उत्पादन के मामले में पहले नंबर पर है. पूरे प्रदेश का औसत उत्पादन 665 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का है, वहीं अकेले शामली जिले का औसत उत्पादन 807.76 क्विंटल प्रति हेक्टयेर रहा है. जिले में छोटीबड़ी जोत वाले करीब 76 हजार 500 किसान हैं. आगे होने के बावजूद गन्ना भुगतान के मामले में पिछड़े हैं. शामली की 3 चीनी मिलों पर किसानों का 297 करोड़ 13 लाख रुपए बकाया है.