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गुजरात विधानसभा और राजस्थान उपचुनावों के बाद भारतीय जनता पार्टी को अपना जनाधार टूटता दिखने लगा है. 2019 के लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में पिछले लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को दोहरा पाना सब से बड़ी चुनौती होगी. निकाय चुनाव में प्रदेश के कसबों और गांवों में भाजपा को पहले जैसे वोट नहीं मिले. भाजपा लगातार यह प्रयास कर रही है कि उस के खिलाफ विपक्ष एकजुट हो कर मुकाबले में न आए. भाजपा को पता है कि अपने दम पर पूरे देश में कांग्रेस का लोकसभा चुनाव में उतरना उस के संगठन की क्षमता से बाहर है. ऐसे में कांग्रेस अलगअलग प्रदेशों में क्षेत्रीय दलों के साथ तालमेल कर के चुनाव मैदान में उतरेगी. भाजपा ने लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सब से बड़ी जीत हासिल की है. उस के बाद नगर निगम के चुनावों में सब से अधिक मेयर भाजपा के चुने गए हैं. ऐसे में अब भाजपा के पास कोई बहाना नहीं है कि प्रदेश का विकास क्यों नहीं हो पाया.
परेशानियों से जूझ रही है जनता
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश के विकास को पटरी पर लाने में असफल रहे हैं. प्रदेश की जनता कई तरह की परेशानियों से जूझ रही है. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित की जाने वाली हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की बोर्ड परीक्षाओं में 10 लाख छात्रों ने परीक्षा छोड़ दी. योगी सरकार इसे अपनी सफलता के रूप में देख रही है जबकि हकीकत में यह योगी सरकार के लिए सब से बड़ा संकट साबित होने वाला है.