अंगड़ाई ले कर उठा है अब तेरा रूप

सहमीसहमी हुई अब तुझे देख कर धूप

पड़ गए पेचोखम, अब तेरी जुल्फ में

आ गए तेरे बिजलियां गिराने के दिन

 

अब खिली चांदनी का तुम्हें अर्थ है

रात जगनेजगाने का तुम्हें मर्ज है

लड़खड़ाते कदम तुम्हारे खुदबखुद

अब झूलनाझुलाना, तुम्हारा फर्ज है

 

आ गए यौवन खिलनेखिलाने के दिन

आ गए तेरे बिजलियां गिराने के दिन.

- डा. लक्ष्मीनारायण ‘शोभन’

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