18साल की कालेज में पढ़ने वाली मुंबई की रूपल एक पौश बिल्ंिडग में रहती है. जिम उस बिल्ंिडग के अंदर ही है. लेकिन वह कालेज से आ कर इतना थक जाती है कि कहीं जाने की इच्छा नहीं होती.
एक दिन जब उस ने अपनी सहेली को हाथ में बैग लिए पसीनेपसीने आते हुए देखा, तो रूपल ने तुरंत पूछ लिया कि वह कहां से आ रही है और पसीने से इतनी भीगी क्यों है?
सहेली ने हंस कर जवाब दिया,
‘‘जिम से.’’
रूपल ने पूछा, ‘‘क्या तुम रोज जाती हो?’’
सहेली ने कहा, ‘‘रोज नहीं जा पाती कालेज की वजह से, सप्ताह में 3 या 4 दिन ही जा पाती हूं. कोविड के दौरान घर बैठ कर औनलाइन पढ़ाई करने की वजह से मेरी आदत खराब हो गई है. कालेज जाने के बाद मैं थकने लगी हूं. इस से मेरी पढ़ाई ढंग से नहीं हो पा रही है और मेरा वजन भी बढ़ चुका है. मेरे घुटनों में अभी से दर्द होने लगा है. डाक्टर ने जिम या वर्कआउट किसी भी प्रकार की करने के लिए सलाह दी है ताकि मेरा दर्द खत्म हो जाए. तुम्हें भी तो वर्कआउट करना चाहिए, रूपल. तुम्हारा वजन भी काफी बढ़ गया है.’’
रूपल को सहेली की बात अच्छी लगी और अगले दिन से वह अपनी सहेली के साथ जिम जाने लगी.
बचना है जंकफूड से
यह सही है कि छोटे शहरों और महानगरों में रहने वाले लड़केलड़कियों के वजन में कोविड के दौरान काफी बढ़ोतरी हुई है. कम समय में डायबिटीज या अन्य किसी रोग से इन बच्चों के आक्रांत होने की संभावना अधिक है, जिसे कम करना उन के लिए मुश्किल है.
वजन बढ़ने की वजह कम वर्कआउट और ज्यादा भोजन करना है. इस में जंकफूड सब से अधिक घातक सिद्ध होता है, क्योंकि इन्हें ट्रैडिशनल फूड पसंद नहीं होता. कुछ पेरैंट्स बच्चे के मोटापे को देख कर उसे हैल्दी बच्चा सम?ाते हैं. यही बच्चे बड़े हो कर बीमार होने लगते हैं.
एक सर्वे में 10 से 24 साल की उम्र वाले 10 से 30 प्रतिशत युवा किसी न किसी प्रकार की शारीरिक समस्या या बीमारी से पीडि़त पाए गए हैं. ऐसे में इस ओर ध्यान देना जरूरी है.
शहरों में भीड़भाड़ अधिक होने की वजह से कुछ शारीरिक एक्टिविटीज करना संभव नहीं होता, ऐसे में जिम में जाना ही एक विकल्प बचता है, जिसे नियमित करना आवश्यक है.
जिम करने यानी ऐक्सरसाइज करने का एक फायदा यह है कि इस से शरीर का स्टैमिना बढ़ता है और शरीर की कार्यक्षमता भी बढ़ती है. जब किसी काम को बिना थके ज्यादा देर तक किया जा सकता है तो यह शरीर में स्टैमिना बढ़ने का संकेत होता है.
सुनें बात ट्रेनर की
फिटनैस एक्सपर्ट योगेश भटेजा कहते हैं, ‘‘आज के यूथ फिल्मों में हीरों के 6 पैक या 8 पैक देख कर खुद उस की कोशिश करते हैं जो कई बार घातक हो जाता है. हमेशा ट्रेनर के अनुसार ही वर्कआउट करना अच्छा होता है. उम्र, शारीरिक बनावट, खानपान आदि के अनुसार ही व्यायाम करना सही होता है.’’
वे आगे कहते हैं, ‘‘सब से पहले मैं वर्कआउट का एक चार्ट बनाता हूं और उसे फौलो करने की कोशिश करता हूं. मेरे यहां हर लड़कालड़की फिट रहने के लिए ही आते हैं. मेरा काम उन की मंशा के अनुसार बौडी देना है. जो आम इंसान फिट होना चाहते हैं, मैं उन से कहता हूं कि अगर आप में इच्छाशक्ति है तो मैं फिट रहने का रास्ता बता सकता हूं. फिटनैस को कायम रखना आसान है, मुश्किल नहीं.’’
जिम जाने की सही उम्र
जिम में जाने की उम्र को ध्यान में रखना बहुत आवश्यक है. 13 से 18 साल के बच्चे वयस्कों के बराबर व्यायाम नहीं कर सकते हैं. इस उम्र में जिम जाना शुरू कर सकते हैं. जिम में इस उम्र में जौगिंग, स्विमिंग, वेट लिफ्ंिटग जैसी ऐक्सरसाइज ट्रेनर के अनुसार कर सकते हैं. इस के अलावा फुटबौल, बास्केट बौल, कुश्ती जैसे खेल भी खेल सकते हैं. वर्कआउट नियमित करें, इस से फिट रहना आसान होता है.
बिना सोचे न जाएं जिम
कुछ यूथ को आजकल कम उम्र में मोटापा घेर लेता है. ट्रेनर योगेश आगे कहते हैं, ‘‘आइडियली देखा जाए तो 3 महीने में प्लस 3 या माइनस 3 किया जा सकता है. इस से अधिक करने पर बौडी सिस्टम पर गलत असर पड़ता है. एक सीमित दायरे में वजन घटाने पर किसी प्रकार की समस्या नहीं होती. बिना सोचेसम?ो कुछ भी करना गलत होता है, जिसे आज के यूथ करते हैं. वे ऐसा कहीं पढ़ कर या देख कर ओवरनाइट में वैसा शरीर बनाना चाहते है, जो ठीक नहीं. इस से नींद की समस्या, कई प्रकार की बीमारियां, हार्मोनल समस्याएं आदि हो सकती हैं. इस के अलावा नमक छोड़ देना या पानी कम पीने से वजन कभी नहीं घटता.’’
डाइट पर दें ध्यान
‘‘ट्रेनर योगेश कहते हैं, ‘‘बौडी की जरूरत और टाइप के अनुसार ही डाइट चार्ट होने पर व्यक्ति हमेशा फिट रहता है. प्रोटीन, फैट, फाइबर आदि को हमेशा अपनी डाइट में शामिल करें.’’ न्यूट्रीशनिस्ट से मिल कर सही डाइट प्लान बनाना जरूरी है ताकि वजन घटाना मुश्किल न हो. संतुलित भोजन और नियमित वर्कआउट से व्यक्ति फिट रह सकता है. आजकल मोटापे के शिकार बच्चे अधिक होते हैं. इस के कुछ कारण ये हैं-
बच्चों में मोटापा बढ़ने का मुख्य कारण, उन का बाहर जा कर न खेलना,
गैजेट्स का बच्चों के जीवन पर
अधिक प्रभाव,
जंकफूड का बहुत ज्यादा सेवन,
समय से न सोना आदि.
इस के अलावा शुगर, सौफ्ट ड्रिंक और जंकफूड को अवौयड करें, पत्तेदार सब्जियां और मौसमी फल खाएं, समय से खाने और समय से सोने के साथ बौडी को रोज सुबह डिटौक्स करना जरूरी है. याद रखें, कभी भी सुबह उठ कर खाली पेट वर्कआउट न करें.