कई दिनों से बराबर महसूस कर रहा था कि पोता अपनी दादी के साथ खींची मेरी पुरानी फोटो से परेशान है. इस बारे में उस ने मुझ से कई बार हंसीहंसी में गंभीरता से कहा भी, ‘‘दादू, या तो दीवार पर से इस फोटो को हटा दो या फिर इस घर से खुद हट जाओ. पुराने इस्तेमाल हो चुके सामान की अब यहां कोई जगह नहीं. यार दादू, समझते क्यों नहीं कि अब पुरानी चीजें संभाल कर रखने का रिवाज खत्म हो गया है. अगर आंखों में जरा सी भी रोशनी बची हो तो देखो, लोग कैसे घर का बेकार पड़ा सामान निकालनिकाल कर नोटों से फटी जेबें भरे जा रहे हैं और एक आप हो कि बाबाआदम के जमाने में जी रहे हो. अगर अपने पर तरस नहीं आता तो हम पर तो तरस खाओ, दादू.
‘‘जरा सुनो तो दादू, पूरे महल्ले में जहां पहले सब आपस में बहानेसहाने एकदूसरे पर चीखनेचिल्लाने के बाद ही अन्नजल ग्रहण करते थे, आज उसी महल्ले में बस एक ही आवाज सुनाई देती है, ‘बेच दे.’ और एक आप हो कि अपने कानों में रुई घुसेड़े…माई डियर दादू, लोग आजकल खरीदने के कम बेचने के चक्कर में अधिक हैं. वे अपना सबकुछ बेचने पर उतारू हैं. उन्हें उन का जीवन तक खरीदने वाला कोई मिल जाए तो…बेकार के सामान का अब क्या काम? इसीलिए तो जिस के दिल में जो आ रहा है, बेचे जा रहा है. आह रुपया, वाह रुपया, ओह रुपया कहता हर मुंह बड़बड़ाता अपने घर का तो अपने घर का, दूसरे के घर के सामान पर भी हाथ साफ करते वह धड़ल्ले से क्वीकर और ओएलएक्स पर सामान की फोटो अपलोड कर बेचे जा रहा है, और एक आप हो कि पुरानी चीजों को सीने से लगाए…’’
‘‘तो तुम ही कहो अब इन का क्या करूं? ये पुरानी चीजें मुई छोड़ने के बाद भी नहीं छूटतीं. मैं ने अपने को हाशिए पर डालते हुए पोते से पूछा तो वह बोला, ‘‘बुरा मत मानना दादू, ये आप के वक्त की इस्तेमाल हो चुकी, धूल चाटती ईमानदारी अब किस काम की? ये
आप के वक्त की वैल्यूज बेकार हो गई हैं. ये रिश्तों का प्यार आज किस काम का?
‘‘आप के जमाने की हमदर्दी की ओर तो अब कोई देखता तक नहीं. आज की सोसाइटी में माफ करना दादू, इन्हें पूछता ही कौन है? और एक आप हो कि… देखो तो, ये सब घर के कोने में पड़ेपड़े सड़ रहे हैं और घर में बदबू फैला रहे हैं. अगर घर से इन्हें बाहर नहीं किया तो देख लेना, घर में एक दिन प्लेग फैल जाएगा. आधे से अधिक घर तो आप के जमाने की ऐसी ही बेकार, बीमार चीजों से अटा पड़ा है.’’
‘‘तो?’’
‘‘आप कहो तो इस पुरानी ईमानदारी के अमेरिका में एक ग्राहक 200 डौलर देने को तैयार है. रिश्तों में प्यार के लिए भी ओएलएक्स पर 4 खरीदार हैं. फटी हमदर्दी की फोटो ओएलएक्स पर आप कहो तो अपलोड कर देता हूं. कोई न कोई तो फंस ही जाएगा. आप की पुरानी वैल्यूज के 5 हजार डौलर देने वाला लंदन में एक ग्राहक है मेरे पास. आप कहो तो…?’’
‘‘प्यार के भी खरीदार? ईमानदारी के भी खरीदार? अरे वाह, खरीदने वाले क्याक्या खरीद रहे हैं, कमाल है.’’
‘‘हां दादू, आप को क्या पता, वे आप के वक्त के भाईचारे के तो 50 हजार रुपए देने की बात कर रहे हैं,’’ पोता जोर से उछला.
‘‘नहीं, यह तो तुम्हारी दादी के वक्त का प्यार है. मैं इसे नहीं बेच सकता. बस, इसी के सहारे तो जी रहा हूं.’’
‘‘दादू, क्या करना पुराने प्यार का? यह जमाना प्यार का थोड़े ही है. आज अगर कोई मन से प्यार करता है तो लोग उसे गधा ही समझते हैं. आज का वक्त तो बस दिखावे का है दादू, पैसे का है. वैसे भी, प्यार से पेट थोड़े भरता है दादू?’’
‘‘पर मन तो भरता है मेरे यार.’’
‘‘ओह दादू, आप भी न, रह गए न पुराने के पुराने दादू. इन से जो पैसे मिलेंगे उतने में तो घर में 50 नई चीजें आ जाएंगी दादू. हम भी मौडर्न हो जाएंगे.’’
‘‘तो मुझे भी बेच दे.’’
‘‘लो, अभी आप की फोटो क्वीकर पर अपलोड कर देता हूं. आप के तो मुंहमांगे दाम मिलेंगे,’’ पोते ने उछलते हुए कहा तो मैं उस का मुंह ताकता रह गया.