पुलिस की नजर से बचे रहने में जो महारत नटवरलाल को थी उतनी शायद ही अंडरवर्ल्ड के किसी ग्लोबल खिलाड़ी की हो. यह कला उन्होंने जासूसी उपन्यासों से सीखी थी. हालांकि वे एक बैंककर्मी हैं लेकिन चार्वाक के अनुयायी बनने के बाद कई वर्षों से बैंक की ड्यूटी पर नहीं गए हैं.

चार्वाक को गुजरे हुए करीब ढाई हजार वर्ष हो चुके. लेकिन उस के दर्शन-‘खाओपीओ मौज करो, कर्ज ले कर भी घी पीयो’ पर अमल करने वालों की हमारे युग में भी अच्छीखासी तादाद है. संभव है उस के बहुत से वंशजों ने अपने पूर्वज का नाम भी न सुना हो. संभव है उन्हें यह ज्ञात न हो कि वे किस के बताए मार्ग पर चल रहे हैं. लेकिन इतना तय है कि उन की प्रतिबद्धता को देख कर चार्वाक की आत्मा (यदि होती है) जहां भी होगी हर्षित हो रही होगी, तो आइए मिलते हैं चार्वाक के एक वंशज से...

वे हमारे एक करीबी रिश्तेदार हैं. जीवन के यही कोई 48 वसंत देखे होंगे. उन की खासीयत यह है कि अभी तक कई करोड़ रुपए का कर्ज ले कर गाय का शुद्ध देशी घी पी चुके हैं. यह कर्ज उन्हें समयसमय पर अपने मित्रों और रिश्तेदारों से रियल एस्टेट के धंधे के निवेश के नाम पर प्राप्त हुआ है. वे निवेशकों का विश्वास जीतने के लिए अपने जीरो अकाउंट वाले खाते से ली हुई रकम के बराबर का पोस्टडेटेड चैक काट कर दे डालते हैं. अब लाभ के लोभ में पूंजी निवेश करने वालों को क्या पता कि रियल में उन का रियल एस्टेट का कोई धंधा नहीं है बल्कि उन के हैंडबैग में जो बड़ेबड़े भूखंडों के कागजात रहते हैं वे आसान शर्तों पर या दूसरे शब्दों में कहें तो झांसा दे कर कर्ज प्राप्त करने के मायावी उपकरण हैं.

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