हौलीवुड फिल्म ‘समथिंग गौट अ गिव’ का एक दृश्य, जिस में फिल्म के मुख्य पात्र जैक निकलसन अपने से कम उम्र की युवती के साथ सैक्सुअल संबंध बनाने के बाद आए हार्ट अटैक के कारण अस्पताल के इमरजैंसी रूम में ऐडमिट हैं. डाक्टर जैक निकलसन से पूछते हैं कि कहीं उन्होंने सैक्स संबंध बनाने से पूर्व वियाग्रा तो नहीं ली थी. जवाब में निकलसन मना कर देते हैं. दरअसल, डाक्टर यह सवाल इसलिए करते हैं क्योंकि अगर किसी मरीज ने वियाग्रा ली है और हार्ट अटैक के बाद उसे ब्लडप्रैशर कम करने की दवाएं दी जाएं तो यह मरीज के लिए घातक हो सकता है.

यहां फिल्म के इस दृश्य के बारे में जिक्र करने से हमारा आशय यह है कि डाक्टर से झूठ बोलना या अपने या अपनी बीमारी के बारे में कुछ भी छिपाना घातक या जानलेवा तक हो सकता है यानी डाक्टर से झूठ बोला और कौआ काटा वाली स्थिति हो सकती है. दरअसल, डाक्टर व मरीज का रिश्ता एक पार्टनरशिप की तरह होता है जहां डाक्टर व मरीज के बीच पूरी तरह पारदर्शिता का होना बेहद जरूरी होता है. इस रिश्ते में डाक्टर से कुछ भी छिपा कर या झूठ बोल कर आप खतरे में पड़ सकते हैं. मरीज चाहता तो है कि डाक्टर उस की परेशानी या बीमारी को हल करने में उस की मदद करे लेकिन वह खुद डाक्टर से अपने व बीमारी के बारे में कई जरूरी चीजें छिपाता है.

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बात छिपाने के कारण

शर्म व झिझक : कुछ मरीज अपनी बीमारी के बारे में डाक्टर से बताने में शर्म व झिझक महसूस करते हैं. उन्हें लगता है कि यह उन का व्यक्तिगत मामला है जिस के बारे में उन्हें डाक्टर को नहीं बताना चाहिए लेकिन ऐसे मरीज शायद नहीं जानते कि डाक्टर व मरीज के बीच प्राइवेसी का कानून मान्य होता है और आप की हर व्यक्तिगत बात गुप्त रखी जाती है. इसलिए डाक्टर से बिना किसी शर्म व झिझक के हर बात खुल कर बताएं.

डर : कई बार मरीज किसी बड़ी बीमारी की शंका के डर से भी डाक्टर से अपनी बीमारी के लक्षण छिपाते हैं, जैसे एक मरीज के स्टूल में ब्लड आता था लेकिन इस डर से कि कहीं वह किसी बड़ी बीमारी का कारण न हो, उस ने अपने डाक्टर से यह बात छिपाई लेकिन गंभीर जांच से पता चला कि मरीज को कोलोन कैंसर था. अगर वह मरीज बीमारी के शुरुआती दौर में डाक्टर से सब लक्षण सहीसही बता देता तो डाक्टर को बीमारी की डायग्नोसिस व इलाज में जल्दी मदद मिलती.

डाक्टर की नाराजगी का डर : डाक्टर मरीज को गंभीर बीमारियों में नो स्मोकिंग, नो डिं्रक, शारीरिक व्यायाम व बैलैंस्ड व न्यूट्रीशियस डाइट की सलाह देते हैं लेकिन मरीज लापरवाही बरतते हैं और डाक्टर से असलियत छिपाते हैं जिस से डाक्टर को मरीज का सही इलाज करने में परेशानी होती है. मरीज लापरवाही की बात डाक्टर को बताने से इसलिए डरते हैं कि कहीं डाक्टर नाराज न हो जाए. हालांकि ऐसा कर के वे स्वयं के लिए खतरा मोल लेते हैं.

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फाइनैंशियल समस्या : कई बार कुछ मरीज अपनी आर्थिक स्थिति के कारण भी डाक्टर से अपनी बीमारी के बारे में छिपाते हैं. उन्हें लगता है कि अगर डाक्टर ने कोई महंगा इलाज या टैस्ट बता दिया तो वे उसे अफोर्ड नहीं कर पाएंगे लेकिन ऐसा कर के मरीज गलत करते हैं. अगर आप डाक्टर से खुल कर अपनी आर्थिक समस्या के बारे में बताएंगे तो हो सकता है वे आप को अल्टरनेट ट्रीटमैंट का तरीका बता दें या महंगी दवाओं की जगह सस्ती जेनरिक दवाएं लिख दें.

झूठ जो मरीज बोलते हैं

लक्षण या समस्या : मरीज बीमारी के पूरे लक्षण सही तरह से नहीं बताते क्योंकि उन को इस बात की जानकारी नहीं होती कि वह जिन लक्षणों को मामूली समझ कर डाक्टर से छिपा रहा है वे कितने महत्त्वपूर्ण हैं. जैसे हलका सिरदर्द हमेशा रहना ब्लडप्रैशर का, पैरों में सूजन किडनी फेल्योर का, रात में बारबार पेशाब जाना डायबिटीज का और जिस पेटदर्द को वे गैस या एसिडिटी समझ लेते हैं वह अंदरूनी अल्सर का कारण हो सकता है.

कैम यानी कौंप्लीमैंटरी व अल्टरनेटिव मैडिसिन : कुछ मरीज अपनी बीमारी के लिए डाक्टरी इलाज के साथ अल्टरनेटिव ट्रीटमैंट साथसाथ लेते रहते हैं, जैसे होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक, हर्बल, देसी दवाएं आदि. लेकिन वे अपने डाक्टर से इस बारे में झूठ बोल कर छिपा जाते हैं. वे समझते हैं कि डाक्टर को इस बारे में जानने की जरूरत नहीं है या डाक्टर ने तो पूछा नहीं है तो क्यों बताऊं पर इन सब के बारे में डाक्टर को बताना बेहद जरूरी होता है क्योंकि हर दवा, हर ट्रीटमैंट का कहीं न कहीं असर होता है. हो सकता है आप की आयुर्वेदिक दवा व ऐलोपैथिक दवा का कौंबीनेशन गलत हो जो आप को फायदा पहुंचाने के बजाय नुकसान पहुंचा दे. आप की बीमारी को ठीक करने के बजाय और बढ़ा दे.

स्मोकिंग, डिं्रकिंग, ईटिंग हैबिट्स व एक्सरसाइज : अधिकांश मरीज जब डाक्टर को दिखाने जाते हैं तो कहते हैं कि वे पिछले 6 महीनों से डिं्रक या स्मोकिंग नहीं कर रहे जबकि वे कर रहे होते हैं. जब मरीज कहता है कि वह सप्ताह में 4 बार डिं्रक करता है तो इस का अर्थ है वह 8 बार डिं्रक करता है, लेकिन डाक्टर भी समझते हैं कि मरीज झूठ बोल रहा है. ऐसे ही औयली, फ्रायड फूड के बारे में भी मरीज डाक्टर से झूठ बोलते हैं. वे पूरी बदपरहेजी करते हैं जिस का परिणाम उन्हें अपनी हैल्थ को ले कर भुगतना पड़ता है.

दवाएं समय पर न लेना या सैल्फमैडिकेशन : डाक्टर जब भी मरीज से ‘दवाएं समय पर ले रहे हैं न’ वाला सवाल पूछते हैं तो वे साफ झूठ बोल जाते हैं और हां कहते हैं लेकिन वे न तो समय पर दवा लेते हैं और साथ ही अड़ोसीपड़ोसी रिश्तेदार, दोस्तों द्वारा बताए घरेलू इलाज भी करते रहते हैं. 42 वर्षीय शैली माहेश्वरी को सीढि़यों पर से पैर फिसलने से मोच आ गई, उन्होंने अपनी मालिश वाली से मसाज करवा ली लेकिन आराम आने के बजाय पैर में सूजन और बढ़ गई. उन्हें डाक्टर के पास जाना पड़ा. डाक्टर ने पूछा, ‘क्या आप ने पैर पर कोई मालिश या मसाज कराई थी?’ उन्होंने साफ झूठ बोल दिया कि ऐसा कुछ नहीं करवाया. लेकिन डाक्टर द्वारा ऐक्सरे कराने पर पता चल गया कि उक्त स्थान की मसाज हुई है और मसाज से स्थिति बिगड़ गई है.

इलाज बनाएं आसान

 ‘‘आदर्श मरीज बनना मरीज के हक में होता है. अगर वह बिना कुछ छिपाए, बिना झूठ बोले डाक्टर से अपनी हर बात सहीसही कहता है तो यह उस के लिए ही फायदेमंद होता है और डाक्टर को उस की बीमारी का सही इलाज करने में मदद मिलती है.’’ यह मानना है एशियन इंस्टिट्यूट औफ मैडिकल साइंसैज फरीदाबाद के नेफ्रोलौजिस्ट डा. जितेंद्र कुमार का.

डा. कुमार बताते हैं कि कई बार मरीज को डाक्टर से अपनी बीमारी या समस्या के बारे में बताने का सही माहौल नहीं मिलता. उन के साथ इतने रिश्तेदार आ जाते हैं कि वे अपनी निजी समस्या के बारे में बताने में शर्म या झिझक महसूस करते हैं. खासकर महिलाएं, वे अपनी सैक्सुअल या मासिक धर्म संबंधी समस्याओं के बारे में अन्य लोगों के सामने बताने से झिझक महसूस करती हैं. इसलिए कंसल्टेशन का माहौल उपयुक्त होना चाहिए जहां मरीज खुल कर अपनी बीमारी के बारे में हर बात डाक्टर से शेयर कर सके. कई बार मरीज पूरे ट्रीटमैंट के दौरान बदपरहेजी करता है. डाक्टर के दिशानिर्देशों का पालन नहीं करता लेकिन डाक्टर के विजिट करने की तारीख से 3-4 दिन पहले समय पर दवाएं लेनी शुरू कर देता है जिस से जब डाक्टर मैडिकल टैस्ट करवाताहै तो रिपोर्ट ठीक आती है. ऐसा कर के मरीज डाक्टर को नहीं, खुद को धोखा देता है और डाक्टर से झूठ बोल कर अपना नुकसान करता है. शुगर, ब्लडप्रैशर व किडनी की बीमारी लाइफस्टाइल डीजीज हैं. इन में डाक्टरी सलाह का नियमित रूप से पालन करना जरूरी है.

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