आज साउथ अफ्रीका विश्व की चुनिंदा टीमों में से एक है. लेकिन एक वक्त ऐसा था जब इस देश की टीम को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से बैन कर दिया गया था. लेकिन सवाल यह है कि साउथ अफ्रीका को क्रिकेट से बैन क्यों किया गया? आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी.

साउथ अफ्रीका क्रिकेट को टेस्ट टीम होने का दर्जा 1889 में ही मिल गया था, लेकिन इस टीम को 20वीं शताब्दी में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से पूरे 21 साल का बैन झेलना पड़ा. यहां तक की साउथ अफ्रीका ने अपना पहला विश्व कप साल 1975 में नहीं बल्कि 1992 में खेला. लेकिन साउथ अफ्रीका को क्रिकेट से बैन क्यों किया गया? आइए जानते हैं.

इसकी कहानी साल 1970 से शुरू होती है, जब आईसीसी ने साउथ अफ्रीका सरकार की रंगभेद नीति के कारण साउथ अफ्रीका क्रिकेट टीम को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से निलंबित करने के लिए वोट किया. साउथ अफ्रीकी सरकार की रंगभेद नीति में कुछ ऐसे नियम बनाए गए थे जिसने आईसीसी को दुविधा में डाल दिया था.

सरकार के नियमों के मुताबिक उनकी देश की टीम को श्वेत देशों (इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड) के खिलाफ ही खेलने की इजाजत थी. साथ ही यह शर्त थी कि विपक्षी टीम में श्वेत खिलाड़ी ही खेलेंगे. आईसीसी के द्वारा साउथ अफ्रीका टीम को निलंबित करने के बाद कई बड़े-बड़े साउथ अफ्रीकी खिलाड़ियों का भविष्य अधर में लटक गया और कईयों का क्रिकेट करियर इसी इंतजार में खत्म हो गया कि कब साउथ अफ्रीका टीम को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी मिलेगी.

आखिरकार पूरे 21 साल के बाद साउथ अफ्रीका में बदलाव आया और रंगभेद की नीति को खत्म किया गया. साथ ही आईसीसी ने साउथ अफ्रीका को साल 1991 में टेस्ट क्रिकेट का दर्जा फिर से वापस लौटा दिया.

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