त्योहार नहीं तमाशा

विश्व कप की खुमारी अब खत्म हो चुकी है और इन दिनों इंडियन प्रीमियर लीग की खुमारी क्रिकेट प्रेमियों में सिर चढ़ कर बोल रही है. खिलाडि़यों के किस्से और मोटी रकम के किस्सेकहानियां अखबारों में खूब छप रहे हैं. चैनलों में इसे त्योहार कह कर प्रचारित किया जा रहा है. कोलकाता में इस का भव्य उद्घाटन हुआ जिस में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी शिरकत की. कई नामीगिरामी हस्तियां भी स्टेडियम में क्रिकेट का खूब मजा ले रही हैं. बड़ेबड़े कौर्पोरेट घराने और उद्योगपति इस से सीधे जुड़े हुए हैं और करोड़ों रुपयों में खिलाडि़यों को खरीद कर उन्हें अपना गुलाम बना चुके हैं. इस में कई विदेशी खिलाड़ी भी हैं. यह खेल न रह कर दौलत और शोहरत का तमाशा बन गया है. इस चकाचौंध में खिलाडि़यों के वारेन्यारे हो रहे हैं क्योंकि धनकुबेरों ने उन्हें इतना धन दे दिया है कि वे मालामाल हो चुके हैं और मशीनों की तरह क्रिकेट खेल रहे हैं.

चिंता का विषय यह है कि इस का असर खिलाडि़यों के खेल पर पड़ रहा है. आईपीएल में 20 ओवरों के मैच होते हैं. इस में नए खिलाडि़यों को एक मंच मिल जाता है पर पुराने खिलाडि़यों के लिए अकूत दौलत कमाने का यह अच्छा जरिया है. यह चौकेछक्कों का खेल है जो सीरियस क्रिकेट को बरबाद कर रहा है. खिलाड़ी टैस्ट मैचों में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं और धीरेधीरे हम क्लासिकल क्रिकेट से दूर होते जा रहे हैं. नए खिलाडि़यों में लगातार 5 दिन खेलने का स्टैमिना देखने को नहीं मिल रहा है.

एक बार गौतम गंभीर ने भी कहा था कि नए खिलाडि़यों में तकनीक का अभाव है. लेकिन खेल संघों के आकाओं को इस से कोई लेनादेना नहीं. शायद यही वजह है कि प्रथम श्रेणी क्रिकेट में हमें अच्छे खिलाड़ी नहीं मिल पा रहे हैं. इस ओर न तो बीसीसीआई के अधिकारी ध्यान दे रहे हैं और न ही खेल संघों के अधिकारी. बीसीसीआई अध्यक्ष जगमोहन डालमिया और आईपीएल-8 के मुखिया राजीव शुक्ला को इस ओर ध्यान देना होगा नहीं तो आईपीएल की चकाचौंध में क्रिकेट तो बरबाद होगा ही, साथ ही खिलाड़ी भी कहीं के नहीं रहेंगे. उन्हें इस बात की परवा नहीं कि खेल बरबाद हो रहा है. खेल को कारोबार बना देने वालों को तो पैसों से मतलब है. धन कुबेरों के लिए तो यह विलासिता का साधन है और उन्होंने खेल को त्योहार नहीं बल्कि तमाशा बना कर रख दिया है.

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हौकी कोच की चिंता

मलयेशिया के इपोह में कांस्य पदक के लिए खेले गए मुकाबले में भारत को दक्षिण कोरिया को पेनल्टी के आधार पर हराने के साथ 24वें सुल्तान अजलान शाह कप टूर्नामैंट में कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा. भारतीय गोलकीपर पी आर श्रीजेश मैच के हीरो रहे क्योंकि उन्होंने शूटआउट में 3 गोल बचाए. वर्तमान में नए कोच पौल वान ऐस भी खिलाडि़यों में जोश भरने में सफल रहे हैं. उन के कोच बनने के बाद से भारतीय टीम का यह पहला टूर्नामैंट था. जीत से कोच ऐस बहुत ज्यादा खुश नहीं हैं क्योंकि वे ऐसा मानते हैं कि कमजोर पिछली पंक्ति भारतीय पुरुष हौकी टीम की पुरानी समस्या रही है और कमजोर रक्षापंक्ति भी बड़ी चिंता रही है. इस टूर्नामैंट में कम रैंकिंग वाली कनाडा टीम को हराने में भारत को काफी मशक्कत करनी पड़ी. जीत के बाद उन्होंने कहा, ‘‘मैं टीम की रक्षापंक्ति को ले कर चिंतित हूं, और मैं भारत आने से पहले ही इसे ले कर चिंतित था. हमारा डिफैंस बहुत खराब है.’’

भारतीय हौकी में यह कोई नई बात नहीं है. ऐसा अकसर देखने को मिला है कि वह अपने आखिरी मिनटों में मैच को गंवा बैठती है. भारत के खिलाड़ी पूरा मैच अच्छा खेलते हैं लेकिन अंत में कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जिन से मैच उन के हाथों से फिसल जाता है. कोच पौल वान ऐस की चिंता बिलकुल जायज है. लेकिन उन के सामने बड़ी चुनौती यह भी है कि भारत हौकी में अपनी पुरानी लय में वापस लौटे और विपक्षी टीम को मात दे कर पूरे विश्व में भारत का परचम लहराए.

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