भारतीय क्रिकेट टीम के सफलतम कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने वर्ष 2014 में टैस्ट मैच से कप्तानी को अलविदा कहा था और उन्होंने अब एकदिवसीय और टी-20 से भी कप्तानी छोड़ने का ऐलान कर दिया.
वैसे दुनिया अभी भी धौनी की कप्तानी की कायल है लेकिन धौनी की बल्लेबाजी में अब वह दम नहीं दिख रहा है जो पहले दिखता था.
क्रिकेट के जानकार मानते हैं कि इस के पीछे कई कारण हैं. एकदिवसीय मैचों में धौनी लगातार फेल हो रहे थे. वे दबाव में थे. लेकिन धौनी ने यह साफ कर दिया कि 2019 के विश्वकप के लिए नए कप्तान को पर्याप्त समय मिलना चाहिए और तीनों फौर्मेट यानी टैस्ट, एकदिवसीय और टी-20 के कप्तान एक ही हों ताकि हर फौर्मेट में वे ढल सकें. अभी विश्वकप के लिए 2 साल बचे हुए हैं ऐसे में अगले कप्तान, जोकि संभवतया विराट कोहली ही होंगे, को अपने मुताबिक एकदिवसीय टीम तैयार करने का मौका मिलेगा.
एकदिवसीय मैचों में वर्ष 2012 से 2016 के बीच धौनी का औसत खूब गिरा. वर्ष 2012 में 65.50 पर था, जबकि वर्ष 2016 में लुढ़क कर 27.80 पर आ गया. लेकिन विराट कोहली की बात करें तो विराट ने एकदिवसीय क्रिकेट में वर्ष 2016 में 10 मैच खेले जिन में 92.37 की औसत से 739 रन बनाए.
टी-20 में धौनी ने वर्ष 2016 में 21 मैचों में 47.60 के औसत से 238 रन बनाए जबकि विराट कोहली ने 15 मैचों में 106.83 के औसत से 641 रन बनाए.
धौनी को लगने लगा था कि अब विराट कोहली के आगे उन का रहना ठीक नहीं है. विराट यदि टैस्ट मैचों की शृंखला में फ्लौप होते तो हो सकता था कि धौनी कुछ दिनों बाद ही कप्तानी को अलविदा कहते पर जिस तरह से विराट कोहली ने टैस्ट मैचों में आक्रमकता दिखाई और विपक्षी टीम को चारों खाने चित किया उस से यह साबित हो गया कि वे कप्तानी के लिए फिट हैं.
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