डा. राजाराम त्रिपाठी, राष्ट्रीय संयोजक, अखिल भारतीय किसान महासंघ आईफा

साल 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस नई योजना ‘आदर्श ग्राम’ की घोषणा की, तो तमाम गाजेबाजे और विज्ञापनों के जरीए भले ही यह स्थापित करने का प्रयास किया गया, पर दरअसल ऐसा नहीं है. यह कोई नई विलक्षण सोच या नई योजना नहीं है.

योजना के लागू होने के

8 साल बीत जाने के बाद भी आज इन सवालों के जवाब ढूंढ़ना, जांचपड़ताल करना और सही जवाब न मिलने पर सरकार से इन सवालों के जवाब लेना इस देश के हर वोटर का, हर नागरिक का फर्ज भी है और हक भी.

1 अक्तूबर, 2014 को ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ की घोषणा अन्य बहुसंख्य सरकारी योजनाओं की तरह ही पूरे तामझाम, ढोलनगाड़े के साथ की गई थी. प्रधानमंत्री के मनमोहक डिजाइनर रंगीन फोटो के साथ समाचारपत्रों में फुलपेजिया विज्ञापन छपे थे. टीवी चैनलों पर कई दिनों तक भाट चारणों ने समवेत स्वर में इस महान युगांतरकारी कार्ययोजना का गुणगान किया था. इस योजना को ‘समावेशी विकास का ब्लूप्रिंट’ कहा गया. 8 अप्रैल, 2015 को यह योजना शुरू हुई.

* सरकारी वैबसाइट के अनुसार, ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ (एसएजीवाई)  संसद के दोनों सदनों के सांसदों को प्रोत्साहित करती है कि वे अपने निर्वाचन क्षेत्र के कम से कम एक गांव की पहचान करें और साल 2016 तक एक आदर्श गांव का विकास करें.

इस योजना के उद्देश्यों को अगर आप ठीक से पढ़ेंगे, तो सम्मोहित हो जाएंगे. इस के उद्देश्यों की बानगी पेश है :

* ग्राम पंचायतों के समग्र विकास के लिए नेतृत्व की प्रक्रियाओं को गति प्रदान करना.

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