लेखक-वृंदा वर्मा, आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रोद्यौगिकी विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या ] कार्तिकेय वर्मा, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रोद्यौगिकी विश्वविद्यालय, मोदीपुरम, मेरठ ] राजीव रंजन कुमार, भाकृअनुप-केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ छावनी ] संजीव कुमार वर्मा

आजकल फैली लंपी स्किन डिजीज के कारण पशुओं और पशुपालकों को बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस रोग के कारण पशुओं की उत्पादकता कम हो जाने के साथसाथ पशु हानि का भी सामना करना पड़ रहा है. हाल ही में राजस्थान में लंपी स्किन डिजीज के कारण हजारों गाएं बेमौत मर गई हैं. गुजरात, पंजाब, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों में भी उक्त रोग (एलएसडी) की घटनाओं की खबरें हैं.

भारत में लंपी स्किन डिजीज का पहला मामला अगस्त, 2019 में ओडिशा के 5 जिलों में दर्ज किया गया था, जहां कुलमिला कर 2,539 पशुओं में से 182 पशु इस रोग से ग्रसित पाए गए और बीमारी की दर 7.16 फीसदी आंकी गई, मगर इन में से कोई भी पशु हताहत नहीं हुआ. तब से यह रोग केरल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि राज्यों सहित पूरे देश में फैल चुका है. रोग की वजह, लक्षण, रोगजनन और निदान लंपी स्किन डिजीज यानी एलएसडी गोवंशी पशुओं और भैंसों का एक अत्यधिक संक्रामक रोग है, जो कैप्रीपौक्स वायरस के चलते होता है. इस के कारण संक्रमित पशुओं की त्वचा पर गांठें बन जाती हैं. यह वायरस पौक्सविरिडे परिवार का सदस्य है, जो मुख्यत: पशुओं और पक्षियों में संक्रमण की वजह बनता है.

इस रोग में त्वचा के ऊपर गोलगोल गांठें बन जाती हैं, जो आकार में 0.5 सैंटीमीटर से 5 सैंटीमीटर व्यास की हो सकती हैं. इस रोग के कारण लसिका ग्रंथियों में भी सूजन आ जाती है, नाक से स्राव बहता रहता है, पशु को बुखार हो जाता है और पशु के पूरे शरीर में अकड़न हो जाती है. संक्रमित पशुओं के अंगों में सूजन आ जाती है और लंगड़ापन भी हो सकता है. इस के अतिरिक्त यह रोग शारीरिक कमजोरी, कम दूध देना, बांझपन, गर्भपात और कभीकभी मौत की वजह बनता है. दुधारू पशुओं में दूध का उत्पादन घट जाता है और पशुपालक को माली नुकसान पहुंचता है.

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