कैथेरेंथस रोजियस, पेरीविंकल या विंका रोजियस ‘एपोसाइनेसी’ कुल का पौधा है. इसे हिंदी में सदाबहार या सदाफूल, मराठी में नयन, तेलुगू में विलार्गननरू और पंजाबी में रतन जोति कहते हैं. साल 1958 में अचानक इस पौधे की पत्तियों में एल्केलायड ढूंढ़ निकाले गए और इस में सर्पगंधा वाले एल्केलायड भी मिले, जो उच्च रक्तचाप को भी प्रभावित करते हैं. इस पौधे में सारे संसार के पौधों से ज्यादा एल्केलायड पाए गए हैं. करीब 65 एल्केलायड केवल पत्तियों से ही प्राप्त हुए हैं. ये आधुनिक इलाजों में विनब्लास्टिन प्रकार के एल्केलायड के कारण हुआ है, जो पौधों की नई पत्तियों से निकाला जाता है. इस की पत्तियों में विनब्लाटिन और विनक्रिस्टिन होते हैं, जिन का कैंसर रोधी औषधियों में इस्तेमाल किया जाता है, जो एंटीफिब्रिलिक और हाइपोटेंसिव रसायन हैं. यूरोप में इस की जड़ों को दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा?है. जड़ों से अज्मालीसीन एल्केलायड निकाला जाता है, जिस का रक्त कोशिकाओं की कोमलता बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. विनक्रिस्टीन सल्फेट का इस्तेमाल पुरानी ल्यूकेमिया (मुख्यतया बच्चों के ल्यूकेमिया) के इलाज में किया जाता है. इस से मिलने वाली दवा बहुत महंगी पड़ती है, क्योंकि 10-15 टन पत्तियों से सिर्फ 1 औंस के करीब दवा हासिल होती है. संयुक्त राज्य अमेरिका के जीए स्वेडा और उन के सहयोगियों ने इस के पौधों से एल्केलायड निकालने की तकनीक का विकास किया.

यह पेशाब बढ़ाने वाला, दस्त रोकने वाला और?घावों को?भरने वाला होता है. यह ब्लडप्रेशर को सही रखता है. भारत और जमैका में इस का इस्तेमाल मधुमेह के इलाज और कीटों के जहर को हटाने

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