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नंदिनी और विमल के होने पर हमारे रहने का इंतजाम दूसरी मंजिल पर ही था, परंतु जब से विमल 6 महीने का हुआ था, रमा ने उसे अलग कमरे में सुलाना शुरू कर दिया था. इसलिए विकास ने हमारा सामान घर के तहखाने में शिफ्ट कर दिया था. शुरू में तो हमें अपना कमरा ठीक नहीं लगा, क्योंकि तहखाने के हमारे कमरे में कोई खिड़की नहीं थी, जिस से वहां काफी अंधेरा रहता था. दिन में भी ट्यूबलाइट जलानी पड़ती थी. फिर धीरेधीरे आदत पड़ गई. तहखाने में बहुत ही शांति रहती है. लगता है जैसे हम सारी दुनिया से कट गए हैं.

कनाडा में अजीब सा रिवाज है कि हर बच्चे को अपना अलग कमरा चाहिए. अगर भारत में भी ऐसा होता तो शायद हमारा गुजारा चलता ही नहीं. शक्ति नगर के उस छोटे से 2 कमरे के घर में हम ने अपनी सारी जिंदगी गुजार दी थी. विकास भी हमारे साथ शादी के बाद उस 2 कमरे के किराए के मकान में रहा था और जब नंदिनी को ले कर आया था तब तो वह हमारे साथ ही रहा था, परंतु रमा अधिकतर नंदिनी के साथ अपने पीहर में ही रही.

टीवी पर शाम के 7 बजे की खबरें आ रही थीं, जिन में शराब की दुकानों पर लगी ग्राहकों की लंबी लाइनें दिखाई जा रही थीं. कनाडा और अमेरिका जैसे देशों में नए साल का स्वागत करने के लिए लोग लाखोंकरोड़ों डौलर शराब पर खर्च कर देते हैं. यानी अमेरिका में नए साल पर लोग शराब पर उतना पैसा खर्च कर देते हैं जितना कि श्रीलंका जैसे देशों का पूरा सालाना बजट भी नहीं होता. हम भारतीय विदेशियों की अच्छी आदतें तो चाहे नहीं सीखे, परंतु उन की गलत आदतें जरूर सीख लेते हैं. विकास और रमा खूब पीते हैं, यह हमें अच्छी तरह मालूम है. हमारे सामने हमारा लिहाज कर के तो नहीं पीते, परंतु हमारी पीठपीछे खूब पीते हैं. रात को जब पार्टियों से आते हैं तो हमें इस बात का एहसास तो अवश्य हो जाता है कि दोनों ही नशे में  झूम रहे होते हैं और फिर दोपहर देर तक सोते हैं. कभीकभी 2 बजे तक सो कर उठते हैं.

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