नरेंद्र मोदी का यह मां के प्रति प्यार है या फिर इस बहाने फालतू की पब्लिसिटी पाने का जरीया. 15 मई को नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन जब पहली बार 7 रेसकोर्स रोड बेटे के पास आईं, तो उन्हें व्हील चेयर पर ले जाते हुए मोदी के कई फोटो लगभग सभी समाचारपत्रों में प्रकाशित हुए, कई चैनलों पर दिखाए गए. जाहिर है कि ये फोटो खुद नरेंद्र मोदी ने दिए थे, क्योंकि उस जगह तो प्रैस फोटोग्राफर जा ही नहीं सकते. वहां तो केवल प्रधानमंत्री के सुरक्षा घेरे की नजर वाले फोटोग्राफर जाते हैं और हर रिलीज किए गए फोटो की बारीकी से जांच होती है कि कहीं ऐसा कोई सुराग न छूटे जिस का कोई गलत फायदा उठा सके.
मां के प्रति इस तरह का प्रेम दर्शाना एक स्वाभाविक बात है पर इस का राजनीतिक फायदा नरेंद्र मोदी को उठाने की जरूरत हो गई हो, यह कुछ अजबगजब लगता है. एक तरफ तो नरेंद्र मोदी को लाल बहादुर शास्त्री या गांधी जैसा या उन से ऊपर वाला दर्शाने की कोशिश हो रही है, तो दूसरी तरफ मातृत्व प्रेम का यह सार्वजनिक प्रदर्शन हो रहा है. क्या नरेंद्र मोदी अब खुद को कमजोर महसूस कर रहे हैं? नरेंद्र मोदी को सत्ता में आए 2 साल से ज्यादा समय हो चुका है पर राजनीतिक व प्रशासनिक तौर पर वे कुछ बड़ा कर पाए हों दिखता नहीं. इस दौरान उन की पार्टी बिहार में पिटी, दिल्ली में पिटी, दक्षिण में 19 मई के नतीजों के अनुसार पार्टी कोई खास जगह नहीं बना पाई. पश्चिम बंगाल में केवल 6 सीटें मिलीं. हां, असम ऐसा अकेला राज्य रहा जहां भाजपा 86 सीटें जीत कर बहुमत में आई.