लोकतंत्र को जड़ से खत्म करना और धर्मतंत्र लागू कर देना भाजपा सरकार के लिए भी मुश्किल हो रहा है. काफी समय से हिंदू धर्म की पोल खोलने पर तुरंत हल्ला मचा देना और गिरफ्तारी हो जाना आम हो चला था पर खिलाफ खड़ी के खिलाफ जहर उगलने, भडक़ाने पर ही नहीं. भीड़ जमा करके मारपीट करने तक पर पुलिस मामले दर्ज नहीं करती थी, दिल्ली में 8 अगस्त को जंतरमंतर पर एक भडक़ाऊ नारे के सिलसिले में वायरल हुए वीडियो के आधार पर पुलिस को ङ्क्षहदू रक्षा दल भूङ्क्षपदर तोमर को जेल में ले जाना ही पड़ा क्योंकि उच्च न्यायालय न अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया.

यह बात दूसरी कि उसे जेल में ले जाते समय शादी का सा माहौल समर्थकों ने पैदा कर दिया था और खूब नारेबाजी हुई पर भूङ्क्षपदर तोमर को कहना पड़ा कि कोई भडक़ाऊ नारे लगे ही नहीं थे अभी कुछ महिनों पहले एक छात्र होस्टल में घुसी कट्टरपंथियों की भीड़ का नागरिक संशोधन बिल का विरोध करने वालों की पिटाई पर कुछ नहीं किया गया था. इसी तरह दिल्ली के उत्तरीपूर्व इलाकों में हुए मुसलिम विरोधी दंगों में भाषण देने वाले कई आज भी आजाद हैं जबकि तब गिरफ्तार हुए मुसलिम युवा एकएक कर के जमानत पर बाहर आ रहे हैं.

यह साफ है कि देश की धर्मभीरू जनता पूजापाठी तो है पर उसे विभिन्न धर्म वालों के साथ रहने में कोई विशेष तकलीफ नहीं है. यह तो धर्मों के दुकानदार है जिन्हें अपना उल्लू सीधा करना होता है, बहुसंख्यक होते हुए भी ङ्क्षहदू धर्म के धंधेबाज यदि ङ्क्षहदूमुसलिम ङ्क्षहदूमुसलिम करते रहते हैं तो असल में उनका ङ्क्षहदू जाति के सवाल को किसी तरह दबा कर रखना होता है. वे हिंदू.....में खतरे में है का नारा लगालगा कर जाति व्यवस्था श्रेष्ठ है का एजेंडा चालू कर रखते हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...