नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बन कर देश पर हिटलरी शासन थोपने के सपनों पर फिलहाल काला साया पड़ने लगा है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिल्ली में रैली कर के साफ कर दिया कि गुजरात का कट्टर हिंदूवादी, मुसलिम व दलित विरोधी तथा अमीरप्रेमी मौडल देश को भाए, यह जरूरी नहीं है. उन्होंने बिहार की गरीबी की चिंता जरूर की पर यह बताने से नहीं चूके कि पश्चिम बंगाल व ओडिशा जैसे राज्य भी बिहार की तरह हैं. गुजरात तो दंभ में अपने को अनूठा समझता है.

नीतीश कुमार गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को कई तरह से चुनौती दे सकते हैं. बिहारी देशभर में फैले हुए हैं और लगभग पूरे देश में उन्हें नीचा, गरीब समझ कर अपमानित किया जाता है. गुजराती भी कई राज्यों में हैं पर सेठों की तरह हैं जो बिहारियों को नौकर रखते हैं. वे अपनी श्रेष्ठता का बखान करे बगैर नहीं मानते. राजनीति में दंभ नहीं चलता पर नरेंद्र मोदी इन्हीं गुजराती सेठों के दंभ पर देश पर राज करना चाह रहे हैं.

बिहार देश का सब से गरीब राज्य है क्योंकि पिछली 2 सदियों में इसे जमींदारों, सामंतों, सेठों, शासकों ने बुरी तरह लूटा है. यहां की कानून व्यवस्था खराब रही क्योंकि यहां सब लूटने में लगे थे. जब भी आम जनता ने इस का विरोध किया, उसे अपराधी बता कर इस तरह दुष्प्रचार किया गया है कि उस की बोलती ही बंद हो गई. अब नीतीश कुमार अगर प्रधानमंत्री बनने का सपना ले कर आगे आ रहे हैं तो सारे देश में बिहारी उन्हें वह समर्थन दे सकते हैं जो गुजरात के नरेंद्र मोदी को नहीं मिल सकता.

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