सैनिकों द्वारा शत्रु की सीमा में लूट तो हमेशा से की जाती रही है पर हाल में 2 मामले ऐसे आए हैं जिन में सेना के अफसर अपने देश में ही लूट मचा रहे हैं. यह पक्का है कि देश की सरकार और देश का कानून इन सैनिक अफसरों को अंतत: छोड़ ही देंगे और लूट जारी रहेगी.

पहला मामला पूर्व सेना प्रमुख विजय कुमार सिंह का है जिन पर आरोप है कि उन्होंने सेना के पैसे का दुरुपयोग जम्मूकश्मीर की सरकार को गिराने में किया. उन्होंने अपना खुद का गुप्तचर संगठन बना लिया था. वे अपने पर लगे आरोपों को छिपाने के लिए भारतीय जनता पार्टी में जा मिले हैं ताकि जो भी मामला सामने आए उसे झेलने के लिए भाजपा के नेता साथ आ जाएं. कहना न होगा कि उन की इस लूट का मामला 2-4 दिनों में रफादफा हो गया.

दूसरा मामला राजस्थान के जैसलमेर में तैनात एक ब्रिगेडियर विजय मेहता का है जिन पर आरोप है कि उन्होंने इलाके के एक गांव में बनी पत्थर की 2 छतरियों को तुड़वा कर अपने गुड़गांव के फार्महाउस में भेज दिया और वहां उन का पुनर्निर्माण करा लिया. उन्हें तोड़े जाने से पहले वह इलाका सैनिक प्रशिक्षण का क्षेत्र घोषित हो गया था. वहां गांव वालों का आनाजाना बंद हो गया था. ब्रिगेडियर महाशय अब उन की जगह नई छतरियां बनवाने को तैयार बताए जाते हैं. पुरानी छतरियां लगभग 400 साल पुरानी हैं.

अंगरेज देश से बहुत सी दुर्लभ चीजें लड़ाइयों में जीत कर इंगलैंड ले गए थे और वे वहां के संग्रहालयों व कुछ निजी घरों की शोभा बढ़ा रही हैं पर अंगरेज सैनिक तो पराए थे, शत्रु थे. देश की संपत्ति की रक्षा के लिए तैनात सैनिक खुद ही लूटपाट करें तो ऐसी करतूत जनता में सैनिकों के प्रति मौजूद विश्वास को ठेस पहुंचाती है.

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