फिल्म 'स्पैशल 26’ की तर्ज पर जबलपुर के बैंक अधिकारियों ने 'स्पैशल 9’ गैंग बनाई. गैंग के सदस्यों का काम फरजी रजिस्ट्रियों के जरिए बैंकों से लाखों रुपए का लोन लेना होता था. आप भी जानिए कि इस गैंग ने फरजी रजिस्ट्रियां कैसे तैयार कीं और उन के जरिए बैंकों को करोड़ों का चूना कैसे लगाया?

गैंग के सदस्यों ने शुरुआत में सरकारी बैंकों को टारगेट किया, लेकिन सफलता नहीं मिली. औनलाइन केवाईसी के सर्च के दौरान बैंक अधिकारियों को पता चल जाता था कि ये डाक्यूमेंट्स सही नहीं हैं और लोन एप्लिकेशन रिजेक्ट हो जाती थी. इस वजह से गैंग ने प्राइवेट बैंकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया. मकसद पूरा हो जाने के बाद 'स्पैशल 9’ गैंग में पैसों का बंटवारा काम के आधार पर होता था. किस का क्या काम है, कितना कठिन है, उस हिसाब से पैसा बांटा जाता था. 

चूंकि प्रवीण पांडे अकाउंट होल्डर था और लोन के लिए फरजी रजिस्ट्री लगाने के बाद जो पैसा खाते में आता था, वह प्रवीण पांडे के नाम पर आता था. खाते में पैसा आने के बाद गिरोह के सभी 9 सदस्य किसी होटल में इकट्ठा होते और फिर अनुभव, संदीप और विकास के इशारे पर रुपयों का बंटवारा होता था. उस दिन अगस्त महीने की 5 तारीख थी और सुमित घर पर खाना खा कर अपने काम से निकलने ही वाला था कि हिंदुजा बैंक के कुछ कर्मचारी उस के घर पहुंचे. परिचय के बाद बैंक कर्मचारियों में से एक कर्मचारी ने सुमित से कहा, ''आप ने अभी तक अपने लोन की एक भी किस्त जमा नहीं की है और न ही बैंक से संपर्क किया. आप ने अपना मोबाइल भी बंद कर रखा है.’’

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