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लेखक- आर.के. राजू 

सौजन्य-मनोहर कहानियां

आजकल मांबाप 12-13 साल का होते ही बच्चों के हाथों में मोबाइल थमा देते हैं, जिस में लगे इंटरनेट पर अच्छीबुरी  हर चीज मौजूद है. अगर यह कहा जाए कुछ किशोर सैक्स के बारे में मांबाप से ज्यादा जानते हैं तो गलत नहीं होगा. सौरभ भी ऐसा ही दिशाहीन युवक था. जिस ने...

एक साल के प्यार, 2 साल की रिलेशनशिप और 8 साल के प्रेम विवाह में रचना कभी इतना नहीं घबराई थी. इस दौरान वह हर तरह से, हर कदम पर बृजेश के साथ खड़ी रही थी. बृजेश कम ही

कहां था, कोर्टमैरिज करते समय न उस के मायके वालों से घबराया, न अपने घर वालों से, जो उसे घर से निकालने की धमकी दे रहे थे. उन की धमकी से डरने के बजाय उस ने खुद ही उन की देहरी पर कदम न रखने की बात कह दी थी. कहा तो निभाया भी.

बृजेश जिला मुरादाबाद के संभल का रहने वाला था और रचना अमरोहा के मोहल्ला कुरैशियान की. अमरोहा में बृजेश के बड़े भाई राजेश की ससुराल थी. रचना रिश्ते में उस की साली लगती थी. राजेश कभीकभी भाई की ससुराल जाता था, वहीं उस की रचना से मुलाकात हुई और दोनों में प्यार हो गया.

बाद में जब दिशू और परी आईं तो घर वालों का प्रेम जागा और वे लोग रचना बृजेश व दोनों बच्चियों को खुद घर ले गए. तब तक रचना के मायके वाले भी दामाद और बेटी के प्रेमिल रिश्ते को समझ गए थे. 10 साल लंबे साथ में रचना को कभी लगा ही नहीं कि बृजेश उसे प्यार नहीं करता या उसे उस पर विश्वास नहीं है.

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