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कानपुर नगर के थाना नर्वल के थाना प्रभारी रामऔतार को कंट्रोल रूम से सूचना मिली कि नरौरा गांव के राजेश कुरील ने अपनी पत्नी तथा उस के आशिक की हत्या कर दी है. दोनों की लाशें उसी के घर में पड़ी हैं. सुबहसुबह डबल मर्डर की सूचना पा कर थाना प्रभारी विचलित हो उठे.

हालांकि कंट्रोल रूप से यह सूचना जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भी मिल गई थी, फिर भी थाना प्रभारी ने घटना स्थल पर रवाना होने से पहले यह जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी. यह बात 11 अक्तूबर, 2019 की है.

थाना नर्वल से नरौरा गांव 7 किलोमीटर दूर था पुलिस आधे घंटे में घटनास्थल पर पहुंच गई. थानाप्रभारी जब राजेश के घर पहुंचे तो वहां सन्नाटा पसरा था. लग ही नहीं रहा था कि गांव में डबल मर्डर हुआ है. पासपड़ोस के लोग पुलिस देख कर सकते में थे और अपने घरों से बाहर झांक रहे थे. हेडकांस्टेबल रामसिंह ने राजेश के घर का दरवाजा थपथपाया तो उस ने ही दरवाजा खोला. वह पुलिस को देख बोला, ‘‘साहब, मैं ने ही आप को फोन किया था.’’

थानाप्रभारी जब पुलिस टीम के साथ घर के अंदर गए तो घर के आंगन में खून से लथपथ 2 लाशें पड़ी थीं. एक लाश युवक की थी जबकि दूसरी युवती की थी. दोनों को चाकू से गोदा गया था और गरदन रेती गई थी. कमरे से ले कर आंगन तक खून ही खून फैला था. देखने से ऐसा लग रहा था कि युवक को कमरे से घसीट कर आंगन तक लाया गया था.

युवक की उम्र 24-25 साल थी जबकि युवती की उम्र लगभग 35 वर्ष थी. दोनें की लाशें अर्धनग्नावस्था में थीं. युवक कच्छा बनियान पहने था, जबकि युवती पेटीकोट ब्लाउज में थी. ब्लाउज के हुक खुले थे. दोनों लाशों के बीच खून से सना चाकू भी पड़ा था. पुलिस ने चाकू अपने कब्जे में ले लिया.

थाना प्रभारी रामऔतार ने इस बारे में राजेश से पूछा तो उस ने बताया कि मृतका उस की पत्नी सुनीता है और मृतक मनीष है, जो औंग थाने के गलाथा गांव का रहने वाला है. रिश्ते में वह उस का फुफेरा भाई है. राजेश अपना जुर्म स्वीकार कर रहा था. थाना प्रभारी ने राजेश को हिरसत में ले लिया और मनीष के घर वालों को उस की मौत की सूचना भेज दी. सुनीता के मायके वालों को राजेश ने ही अपने मोबाइल से खबर दे दी थी.

राजेश का पिता मौजीलाल कुरील पास के ही मकान में रहता था. उसे इस मामले की जानकारी पुलिस के आने के बाद ही मिली थी. बेटे के इस कृत्य से वह बदहवास था. वह कभी राजेश को तो कभी उस के बच्चों को निहार रहा था.

राजेश के 2 बेटे मुकेश, सनी तथा एक बेटी कंचन थी. जब मातापिता ने बच्चों का खयाल रखना छोड़ दिया था तब बच्चों की देखभाल मौजीलाल करने लगा था. घटना के वक्त बच्चे उसी के घर में थे. तीनों बच्चे मां की मौत पर फूटफूट कर रो रहे थे.

अब तक दोहरे हत्याकांड की खबर नरौरा गांव में ही नहीं बल्कि आसपास के गांवों में भी फैल गई थी. अत: थोड़ी देर में घटना स्थल पर देखने वालों की भीड़ जुट गई. मनीष के घरवाले भी आ गए थे और वह उस की लाश के पास फूटफूट कर रो रहे थे. लेकिन सुनीता के मायके से कोई नहीं आया था. उस के भाई अरविंद ने आने से साफ मना कर दिया था.

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उसी दौरान एसएसपी अनंतदेव तिवारी तथा प्रद्युम्न सिंह आ गए. उन्होंने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. उन्होंने मृतक मनीष के पिता कल्लू से पूछताछ की. कल्लू ने बताया कि मनीष के चचेरे भाई राजे का तिलक था. मनीष वैन से अपने मामा मौजीलाल व गोरे लाल को लेने नरौरा आया था. राजेश ने मनीष की हत्या क्यों की, इस का उसे कुछ पता नहीं.

पुलिस अधिकारियों ने कमरे का निरीक्षण किया तो जमीन पर बिछे बिस्तर पर खून के दाग थे. कमरे से ले कर आंगन तक खून फैला था. कमरे की खूंटी पर पैंटकमीज टंगी थी. पूछने पर कल्लू ने बताया कि वह पैंटकमीज मनीष की है.

पुलिस ने पैंटकमीज की जेबें खंगाली तो कमीज की जेब से ड्राइविंग लाइसेंस तथा पैंट की जेब से मृतक का पर्स तथा वैन की चाबी मिली. यह सामान पुलिस अधिकारियों ने कल्लू को सौंप दिया. कमरे से 2 मोबाइल फोन भी मिले जिस में एक सुनीता का था और दूसरा मनीष का. दोनों मोबाइल फोन पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिए.

फोरैंसिक टीम का काम निपट जाने के बाद पुलिस ने दोनों शव पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपतराय अस्पताल भिजवा दिए.

आरोपी राजेश कुरील को हिरासत में ले कर पुलिस थाने लौट गई. एसएसपी अनंतदेव तिवारी की मौजूदगी में थानाप्रभारी रामऔतार ने डबल मर्डर के संबंध में राजेश से पूछताछ की तो वह फफक पड़ा, ‘‘साहब, मेरी पत्नी सुनिता और मनीष के अवैध संबंधों की चर्चा घरपरिवार में ही नहीं बल्कि पूरे गांव में आम हो चुकी थी. मैं कई दिनों से घुटघुट कर जी रहा था. पत्नी से विरोध करता तो वह मारपीट और झगड़े पर उतारू हो जाती थी.

‘‘कई बार मन में आत्महत्या का विचार भी आया, लेकिन बच्चों की वजह से ऐसा नहीं किया. मना करने के बावजूद मनीष घर आया और रात में रुक गया. देर रात दोनों को रंगरलियां मनाते देख मेरे सिर पर खून सवार हो गया. विरोध करने पर दोनों मेरे ऊपर ही टूट पड़े. इस के बाद मैं ने झल्लाहट में और खुद को बचाने के लिए दोनों को चाकू मार दिए, फिर दोनों की गरदन रेत कर हत्या कर दी.’’

‘‘वे 2 थे और तुम अकेले. फिर दोनों की हत्या कैसे की, कहीं ऐसा तो नहीं कि तुम्हारा साथ किसी और ने दिया हो?’’ एसएसपी साहब ने सवाल किया.

‘‘नहीं साहब, मेरे साथ दूसरा कोई नहीं था. दरअसल मनीष ज्यादा नशे में था. इसलिए जब मैं ने उसे कमर पर लात जमाई तो वह लड़खड़ा कर जमीन पर गिर पड़ा. उस के बाद मैं ने उस पर चाकू से वार किया और उसे कमरे से घसीट कर आंगन में लाया. फिर उस की गरदन रेत दी. सुनीता उसे बचाने आई तो मैं ने उस पर भी वार कर दिया और चाकू से गरदन रेत दी.’’ राजेश ने पूरी बात एसएसपी को बता दी.

इस के बाद थाना प्रभारी रामऔतार ने मृतक मनीष के पिता कल्लू की तरफ से भादंवि की धारा 302 के तहत राजेश कुरील के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया. पुलिस जांच में इस दोहरे हत्याकांड के पीछे एक ऐसी औरत की कहानी प्रकाश में आई, जिस ने शरीर सुख के लिए अपना ही घर उजाड़ दिया.

उत्तर प्रदेश के कानपुर से करीब 30 किलोमीटर दूर नर्वल थाने के अंतर्गत एक गांव है रायपुर. बाबूराम कुरील अपने परिवार के साथ इसी गांव में रहता था. उस के परिवार में पत्नी रन्नो के अलावा 2 बेटियां अनीता, सुनीता तथा एक बेटा अरविंद था.

बाबूराम मनरेगा में मजदूरी करता था. उसी से उस के परिवार का भरणपोषण होता था. उस ने बड़ी बेटी अनीता का विवाह कर दिया था.

अनीता से 3 साल छोटी सुनीता थी. वह बचपन से ही चंचल स्वभाव की थी. सुनीता के युवा होते ही बाबूराम उस की शादी के लिए चिंतित रहने लगा. दौड़धूप और रिश्ते नातेदारो के सहयोग से उसे राजेश पसंद आ गया.

राजेश के पिता मौजीलाल कुरील नरौरा गांव के रहने वाले थे. परिवार में पत्नी चंद्रावती के अलावा 2 बेटियां आशा, बरखा तथा बेटा राजेश था. मौजीलाल के पास 5 बीघा खेती की जमीन थी. राजेश पिता के कृषि कार्य में हाथ बंटाता था. राजेश, ज्यादा पढ़ालिखा तो नहीं था, लेकिन शरीर से हष्टपुष्ट था.

मौजीलाल अपनी दोनों बेटियों की शादी कर चुका था. राजेश अभी कुंवारा था. बाबूराम कुरील जब उस के पास सुनीता का रिश्ता ले कर आया तो मौजीलाल ने स्वीकार कर लिया.

अंतत: 7 जून, 2008 को राजेश के साथ सुनीता का विवाह हो गया. कुछ ही दिनों में सुनीता ससुराल के माहौल में रम गई. ससुराल में उसे सभी ने खूब प्यार दिया. शादी के एक साल बाद ही सुनीता एक बेटे की मां बन गई.

बेटे के जन्म के बाद ससुराल में सुनीता का मान और भी बढ़ गया था. सास चंद्रावती तथा ससुर मौजीलाल फूले नहीं समा रहे थे. इसी हंसीखुशी के साथ सुनीता और राजेश के गृहस्थी की गाड़ी चल रही थी. बाद में सुनीता एक बेटी और एक बेटे की मां बनी.

राजेश एक मामूली किसान था. 3 बच्चों के जन्म के बाद उस के परिवार का खर्च बढ़ गया था. इसलिए वह पहले से ज्यादा मेहनत करने लगा. वह सुबह को पिता के साथ खेत पर चला जाता और शाम ढले घर लौटता. उस समय राजेश इतना थका होता था कि खाना खाने के बाद उसे केवल बिस्तर ही सूझता था.

दूसरी ओर सुनीता की हसरतें जवान थीं. 3 बच्चों को जन्म देने के बावजूद उस का जिस्म कसा हुआ था. हर रात वह पति का प्यार चाहती थी, लेकिन राजेश उस की भावनाओं को नहीं समझता था.

जैसेतैसे दिन बीत रहे थे. सुनीता तन की शांति के लिए घर के बाहर ताकझांक करने लगी थी. दरअसल सुनीता का दिन तो कामकाज और बच्चों के कोलाहल में कट जाता था लेकिन रात काटे नहीं कटती थी. अंतत: उस की नजरें अपने से 10 साल छोटे कुंवारे मनीष पर टिक गईं.

मनीष के पिता कल्लू कुरील, फतेहपुर जनपद के औंग थाने के गांव गलाथा में रहते थे. उस के परिवार में पत्नी रामप्यारी के अलावा 5 बेटे, 2 बेटियां थीं. कल्लू के पास खेती की 8 बीघा जमीन थी जिस में अच्छी पैदावार होती थी. खेती के अलावा वह गल्ले का करोबार भी करता था. इस व्यापार में उस के बेटे भी उस का हाथ बंटाते थे. कुल मिला कर कल्लू की आर्थिक स्थिति मजबूत थी.

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कल्लू की संतानों में मनीष सब से छोटा था. मनीष का मन न तो पढ़ाई में लगा और न ही खेती के काम में. आठवीं पास करने के बाद उस ने ड्राइवरी सीख ली और अपने दोस्त की टैंपों चलाने लगा. जब हाथ साफ हो गया तब उस ने पिता पर दबाव बना कर वैन खरीद ली और उसे चलाने लगा. वह कानपुर फतेहपुर के बीच वैन से सवारियां ढोने लगा. इस काम में उसे अच्छी कमाई होती थी.

चूंकि मनीष की मां रामप्यारी राजेश की बुआ थी, इस नाते राजेश और मनीष फुफेरे भाई थे. सुनीता जब ब्याह कर ससुराल आई थी तब मनीष केवल 12 साल का था. लेकिन अब वह 22 साल का गबरू जवान हो गया था.

मनीष का सुनीता के घर आनाजाना लगा रहता था. दोनों के बीच देवरभाभी का रिश्ता था इसलिए उन के बीच हंसीमजाक भी होती रहती थी. सुनीता ने मनीष के बारे में सोचा तो वह उसे अच्छा लगा. अत: उस का रुझान मनीष की ओर हो गया.

अब मनीष जब भी घर आता सुनीता जानबूझ कर अपने सुघड अंगों का प्रदर्शन करती. कुंआरा मनीष उन्हें ललचाई नजरों से देखता. सुनीता समझ गई कि मनीष पर उस के रूप का जादू चल गया है.

उन्हीं दिनों एक रोज मनीष आया तो सुनीता से नजरें मिलते ही वह मुसकराया, सुनीता के होंठों पर भी मुसकान खिल गई. कुछ देर बाद सुनीता चाय बना कर लाई और दोनों बैठ कर चाय पीने लगे. उस समय घर में दोनों अकेले थे. चाय पीते समय मनीष सुनीता को बड़े गौर से देख रहा था. सुनीता ने उसे गहरी नजरों से देखा, ‘‘मनीष तुम मुझे इतना घूर कर क्यों देख रहे हो?’’

‘‘भाभी तुम हो ही इतनी खूबसूरत.’’ मनीष ने कहा तो सुनीता मुसकराई, ‘‘मनीष, मैं कुंवारी लड़की नहीं हूं, शादीशुदा और 3 बच्चों की मां हूं.’’

‘‘जानता हूं भाभी. पर तुम मेरे लिए कुंवारी जैसी ही हो.’’ कहते हुए मनीष ने सुनीता को अपनी बांहों में जकड़ लिया और चुंबनों की झड़ी लगा दी.

सुनीता ने नारी सुलभ नखरा किया, ‘‘मनीष छोड़ो मुझे. यह पाप है.’’

‘‘कोई पाप नहीं है भाभी. हम दोनों की जरूरत एक ही है. पापपुण्य को भूल जाओ.’’

सुनीता तो पहले से ही मनीष का साथ चाहती थी. उस का विरोध केवल बनावटी था. लिहाजा सुनीता ने भी मनीष के गले में बाहें डाल दीं. इस के बाद दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कीं. उस दिन के बाद देवरभाभी की पापलीला शुरू हो गई.

मनीष को जवान तथा मदमस्त कर देने वाली सुनीता का साथ मिला तो वह उस का दीवाना बन गया. दूसरी तरफ सुनीता भी कुंवारे मनीष से खुश थी. पति से ऐसा सुख उसे कभी नहीं मिला था. अत: सुनीता ने मनीष को ही अपना सबकुछ मान लिया.

मनीष वैन ले कर नरौरा गांव आता. वैन को वह सड़क किनारे खड़ा कर सुनीता से मिलने पहुंच जाता. उस से मिल कर वह वापस लौट जाता. मनीष के आने की खबर घरवालों को कभी लगती तो कभी नहीं लगती थी. चूंकि मनीष, मौजीलाल का भांजा था. अत: उसे तथा उस की पत्नी चंद्रावती को उस के वहां आने पर कोई एतराज न था.

लेकिन एक रोज दोनों की चोरी पकड़ी गई. उस रोज मनीष आया और सुनीता से छेड़छाड़ करने लगा. तभी अचानक सुनीता की सास चंद्रावती आ गई. उस ने दोनों को अश्लील हरकत करते देख दिया. चंद्रावती ने बहू की शिकायत पति व बेटे से कर दी. मौजीलाल ने सुनीता को फटकार लगाई, ‘‘बहू, तुम्हें मर्यादा में रहना चाहिए. तुम इस घर की इज्जत हो. आइंदा इस बात का खयाल रखना.’’

सास की शिकायत और ससुर की नसीहत सुनीता को नागवार लगी. वह तुनक गई और घर में कलह करने लगी. वह कभी खाना बनाती तो कभी सिर दर्द का बहाना बना लेती. बच्चे भूख से बिलबिलाते तो वह उन की पिटाई करने लगती.

पति समझाने की कोशिश करता तो वह उस पर भी बरस पड़ती, ‘‘दिन भर साफसफाई करूं, खाना बनाऊं, बच्चों को पालूं और फिर ऊपर से बदचलनी का तमगा. कान खोल कर सुन लो, कि अब मैं सासससुर के साथ नहीं रह पाउंगी. तुम्हें मेरे साथ अलग रहना होगा.’’

राजेश में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह पिता से अलग रहने की बात कह सके. लेकिन जब मौजीलाल को बहू के त्रियाचरित्र और अलग रहने की बात पता चली तो उन्होंने देर नहीं की और वह पत्नी के साथ दूसरे मकान में रहने लगे.

सासससुर ने एक तरह से सुनीता से नाता ही तोड़ लिया. सुनीता के बच्चे दादीदादा से हिलेमिले थे, अत: उन का समय उन्हीं के घर बीतता था. रात को तीनों बच्चे दादीदादा के घर ही सो जाते थे. सासससुर के अलग हो जाने के बाद सुनीता पूरी तरह स्वच्छंद हो गई. अब उसे मनीष से मिलने पर रोकनेटोकने वाला कोई नहीं था. मनीष, ज्यादातर ऐसे समय में आता जब राजेश घर के बाहर होता या फिर खेत पर काम करता होता और बच्चे भी स्कूल में होते.

मनीष वैन चालक था. वह स्वयं तो शराब पीता ही था, उस ने राजेश को भी शराब की आदत डाल दी थी. शराब के बहाने अब मनीष वहां देर शाम आने लगा. आते ही राजेश के साथ महफिल जमती फिर खाना खा कर मनीष कभी चला जाता तो कभी रात में वहीं रुक जाता था. चूंकि राजेश को मुफ्त में शराब पीने को मिलती थी, इसलिए वह मनीष के रुकने पर एतराज नहीं करता था.

एक शाम मनीष हाथ में शराब की बोतल थामे सुनीता के घर पहुंचा तो पता चला राजेश पहले से नशे में धुत है. वह कस्बा नर्वल गया था, वहीं से पी कर लौटा था. आते ही वह चारपाई पर पसर गया था. मनीष का मन खुशी से उछल पड़ा. सुनीता और मनीष ने खाना खाया फिर कुछ देर बाद हसरतें पूरी करने के लिए पीछे वाले कमरे में पहुंच गए.

इधर देर रात राजेश की नींद टूटी तो उस ने देखा सुनीता अपने बिस्तर पर नहीं है. आधे घंटे तक सुनीता नहीं आई तो राजेश का माथा ठनका. वह पत्नी को ढूंढने निकला तो सुनीता पीछे वाले कमरे में मनीष के साथ थी. दोनों को आपत्तिजनक अवस्था में देख कर राजेश का खून खौल गया.

राजेश को आया देख कर मनीष तो भाग गया, पर सुनीता कहां जाती. राजेश ने सुनीता को कमरे में ले जा कर उस का मुंह दबा कर राजेश ने उसे खूब पीटा. मुंह दबा होने के कारण सुनीता चीखचिल्ला भी नहीं सकी. जब वह अधमरी हो गई तब राजेश ने उसे छोड़ दिया. मौके की नजाकत समझ कर सुनीता ने भी राजेश से माफी मांग ली. बच्चों की खातिर राजेश ने उसे माफ कर दिया.

अब राजेश और मनीष के बीच दरार पड़ गई थी. दोनों ने साथ खानापीना छोड़ दिया था. राजेश ने मनीष के घर आने पर भी प्रतिबंध लगा दिया. सुनीता को ले कर दोनों में झगड़ा बढ़ा तो रिश्ते भी सार्वजनिक हो गए.

गांव के लोग ही नहीं बल्कि नातेरिश्तेदार भी जान गए थे कि मनीष और सुनीता के बीच नाजायज रिश्ता है. राजेश की चारे तरफ बदनामी होने लगी थी. राजेश ने मनीष की शिकायत बुआफूफा से भी की लेकिन मनीष पर कोई असर न पड़ा.

मनीष और सुनीता एक दूसरे के इस कदर दीवाने थे कि मिलन को बेकरार रहते थे. मनीष ने सुनीता को एक मोबाइल फोन दे रखा था. इसी मोबाइल से सुनीता मनीष से बात करती और मौका मिलते ही मनीष को मिलने के लिए बुला लेती. मिलने के दौरान वे सतर्कता बरतते थे.

सतर्कता के बावजूद एक दोपहर राजेश ने सुनीता को मनीष की बाहों में मचलते देख लिया. उस ने सुनीता पर हाथ उठाया, तभी मनीष ने राजेश का हाथ पकड़ कर मरोड़ दिया और बोला, ‘‘खबरदार जो भाभी पर हाथ उठाया. तुम ने जो देखा उसे भूल जाओ. हम दोनों के बीच बाधा मत बनो. इसी में तुम्हारी भलाई है.’’

धमकी देने के बाद मनीष चला गया. उस के बाद राजेश फिर से पत्नी को पीटने के लिए लपका. तब सुनीता भी पति से भिड़ गई और बोली, ‘‘मारपीट कर तुम मुझे चोट तो पहुंचा सकते हो, लेकिन मनीष के मिलने से नहीं रोक पाओगे. अपनी सेहत दुरुस्त रखना चाहते हो तो हमारे रास्ते में न आओ.’’

मनीष और सुनीता की धमकी से राजेश को लगा कि उन दोनों के इरादे नेक नहीं हैं. वह दोनों उस की जान के दुश्मन बन सकते हैं. इसलिए वह कानपुर शहर गया और अपनी जान माल की हिफाजत के लिए एक तेजधार वाला चाकू खरीद लाया. इस के बाद वह सुनीता पर कड़ी निगरानी रखने लगा.

इस का परिणाम यह हुआ कि सुनीता सितंबर के प्रथम सप्ताह में अपने प्रेमी मनीष के साथ भाग गई. राजेश गुप्त रूप से पत्नी की खोज करता रहा. आखिर वह बुआफूफा की शरण में गया. फूफा कल्लू के प्रयास से 2 दिन बाद सुनीता वापस घर आ गई.

राजेश ने बच्चों की वजह से सुनीता से कुछ नहीं कहा और उसे घर में रख लिया. सुनीता को न पति की फिक्र थी और न ही बच्चों की. बच्चे भी मां से कन्नी काटने लगे थे. वह ज्यादा समय दादादादी के घर ही बिताते थे और रात को वहीं सो जाते थे. सुनीता खुद तो खापी लेती थी, लेकिन पति को तरसाती थी. ऐसे में राजेश ज्यादातर बाहर ही खातापीता था.

राजेश अब सुनीता की हर गतिविधि पर नजर रखने लगा था. काम छोड़ कर वह बीचबीच में किसी बहाने घर आ जाता था. सुनीता सब समझ रही थी, धीरेधीरे एक महीना बीत गया. सुनीता और मनीष की मुलाकात नहीं हो सकी. उन की मोबाइल पर तो बात हो जाती थी लेकिन राजेश की दिन रात की कड़ी निगरानी से उन्हें मौका नहीं मिल पा रहा था. आखिर एक दिन उन्हें यह मौका मिल ही गया.

12 अक्तूबर, 2019 को मनीष के चचेरे भाई राजे का तिलक था. मनीष के पिता कल्लू ने उस से कहा कि वह नरौरा जा कर मामामामी को ले आए. पिता के अनुरोध पर मनीष वैन ले कर 11 अक्तूबर की रात 11 बजे नरौरा गांव पहुंचा. उस ने अपनी वैन सड़क किनारे खड़ी कर दी और फिर सुनीता से मोबाइल पर बात की. दरअसल मनीष वह रात सुनीता के साथ गुजारना चाहता था.

उस ने सोचा था कि सुबह मामामी को ले कर अपने गांव लौट जाएगा. फोन पर सुनीता ने मनीष को जानकारी दी कि राजेश घर पर है पर वह बाहर वाले कमरे में गहरी नींद में सो रहा है. इस जानकारी पर मनीष ने सुनीता से कहा कि वह दरवाज खोल कर रखे. चंद मिनट में वह दरवाजे पर पहुंच रहा है. रात के सन्नाटे में मनीष, सुनीता के दरवाजे पर पहुंचा.

सुनीता उस के आने का ही इंतजार कर रही थी. उस के पहुंचते ही सुनीता ने उसे घर के अंदर कर के दरवाजा बंद कर दिया. सुनीता, मनीष को ले कर पीछे वाले कमरे में पहुंची. मनीष ने अपने कपड़े उतार कर खूंटी पर टांग दिए और मोबाइल फोन स्टूल पर रख दिया. इस के बाद वह जमीन पर बिछे बिस्तर पर सुनीता के साथ लेट गया और जिस्म की प्यास बुझाने लगा.

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इधर आधी रात के बाद राजेश लघुशंका के लिए कमरे से बाहर आया तो उसे पीछे वाले कमरे में खुसरफुसर सुनाई दी. वह दवे पांव कमरे के बाहर पहुंचा और खिड़की से झांक कर देखा. वहां का दृश्य देख उस की आंखों में खून उतर आया.

कमरे के अंदर सुनीता और मनीष आपत्तिजनक स्थिति में थे. वह वापस अपने कमरे में आया और चाकू ले कर पुन: उस कमरे में पहुंच गया जहां मनीष और सुनीता देह सुख भोग रहे थे.

उस ने मनीष और सुनीता को धिक्कारा तो दोनों उठ खड़े हुए. गुस्से में राजेश ने मनीष की कमर पर लात जमाई तो वह नशे में होने के कारण लड़खड़ा कर गिर पड़ा. उसी समय राजेश ने उस पर चाकू से हमला कर दिया.

प्रेमी की जान खतरे में देख कर सुनीता पति से भिड़ गई. तब उस ने सुनीता को परे ढकेल दिया. चाकू के हमले से घायल मनीष को राजेश उस के सिर के बाल पकड़ कर घसीटता हुआ आंगन में लाया और चाकू से मनीष की गरदन रेत दी.

प्रेमी की मौत से सुनीता घबरा गई. वह अपनी जान बचा कर दरवाजे की ओर भागी. लेकिन राजेश पर तो खून सवार था. उस ने लपक कर सुनीता को पकड़ लिया और बोला, ‘‘भागकर कहां जाएगी बदचलन.

आज मैं तुझे भी सबक सिखा कर ही दम लूंगा’’ कहते हुए राजेश ने सुनीता पर चाकू से हमला कर दिया. उस ने उस के शरीर पर कई वार किए, फिर चाकू से उस की गरदन रेत दी. खून से सना चाकू उस ने लाशों के बीच फेंक दिया, फिर वह लाशों को काफी देर कर टुकुरटुकुर देखता रहा.

सुबह 4 बजे राजेश वारदात की सूचना देने ग्राम प्रधान इस्लामुलहक के घर पहुंचा. उस ने दरवाजा पीटा, लेकिन जब किसी ने दरवाजा नहीं खोला तब उस ने पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दे दी. कंट्रोल रूप की सूचना पर नर्वल थानाप्रभारी रामऔतार घटना स्थल पर पहुंचे.

13 अक्तूबर, 2019 को थाना नर्वल पुलिस ने अभियुक्त राजेश कुरील को कानपुर कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट जे.एन. पारासर की अदालत में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.

   —कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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