उम्र बढ़ने पर इंसान का शरीर तो कमजोर हो ही जाता है, कई तरह की बीमारियां भी घेर लेती हैं. 88 साल के हो चुके हरिकिशन वर्मा के साथ भी कुछ ऐसा ही था. हालांकि देखने में वह ठीकठाक लगते थे, लेकिन अंदर से वह कई तरह की बीमारियों से घिरे थे. वह शास्त्रीनगर के नीमड़ी गांव स्थित अपने घर में अपनी 50 साल की बेटी राजबाला के साथ रहते थे.
उसी मकान में उन के बेटे अजीत और विजय अपनी ज्वैलरी शौप चलाते थे, लेकिन इन दोनों बेटों से उन का कुछ लेनादेना नहीं था. इस की वजह यह थी कि उन का उन से संपत्ति को ले कर विवाद चल रहा था. उन का छोटा बेटा अरविंद, जो उत्तरीपश्चिमी दिल्ली के सरस्वती विहार में रहता था, वही उन की देखभाल के लिए रोज आता था.
अरविंद सुबह ही पिता के पास पहुंच जाता और दिन भर उन की देखभाल करता था. शाम 6-7 बजे वह घर लौट जाता था. कई सालों से उस का यही नियम बना हुआ था.
एक दिन अरविंद सुबह करीब साढ़े 9 बजे नीमड़ी गांव स्थित पिता के घर पहुंचा. वह जब भी आता था, घर का मुख्य दरवाजा अंदर से बंद मिलता था. दरवाजा खटखटाने के बाद बहन राजबाला कुंडी खोलती थी.
28 जनवरी को भी उस ने दरवाजा खटखटाया. 5 मिनट तक कुंडी नहीं खुली तो उस ने दोबारा दरवाजा खटखटाया. दोबारा भी कुंडी नहीं खुली और न ही अंदर से कोई आवाज आई तो वह सोचने लगा कि पता नहीं क्या बात है, जो अभी तक दरवाजा नहीं खुला.