मेरी बेटी तीसरी कक्षा में पढ़ती थी. हमारी कालोनी के कुछ बच्चे कौन्वैंट स्कूल में और कुछ डीएवी स्कूल में पढ़ते थे. मेरी बेटी डीएवी स्कूल में पढ़ती थी. शाम को सब बच्चे साथसाथ खेला करते थे. खेल के दौरान सब बच्चे अपनेअपने स्कूल की बातें शेयर किया करते थे. एक दिन मेरी बेटी रोतेरोते घर आई और कहने लगी, ‘‘ममा, आप को मालूम है आज ईशा मौसी का बर्थडे है और मौसी ने हमें नहीं बुलाया.’’ मैं ने उस से कहा, ‘‘नहीं बेटा, आज नहीं है ईशा मौसी का बर्थडे. तुम्हें किस ने बताया?’’ तो वह रोतेरोते बोली, ‘‘रीना ने बताया. उस के स्कूल के सब बच्चे आज बर्थडे में चर्च गए थे.’’ तब माजरा समझ आया क्योंकि उस दिन 25 दिसंबर था, ईसा मसीह का बर्थडे जिसे मेरी बेटी अपनी ईशा मौसी का बर्थडे, समझ बैठी थी. उस की मासूमियत पर मैं मन ही मन मुसकरा उठी.

उषा शर्मा, पौड़ी गढ़वाल (उ.खं.)

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मेरे ससुराल में शादी थी. मैं, अपनी बेटी व अपने देवर की बेटी को डांस के स्टैप्स समझा रही थी. मैं ने कृति (देवर की बेटी) को समझाया कि तुम गणेश बनी हो, तुम्हारे हाथों की मुद्रा इस तरह से रहेगी. कृति थोड़ी देर तक अभ्यास करती रही, फिर हाथों का पोज देख कर पूछने लगी, ‘‘ताईजी, मेरा ‘मुरदा’ तो ऐसे ही रहेगा न?’’ दरअसल वह मुद्रा बोलना चाहती थी पर मुरदा बोल गई. वहां उपस्थित सभी लोगों की हंसी छूट गई.

जया मालू, कोलकाता (प.बं.)

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21 मार्च को सूर्यग्रहण हुआ. उस को ले कर फ्रांस के एक स्कूल में पढ़ने वाला मेरा 4 वर्षीय पोता रुद्र बहुत रोमांचित था. एक दिन स्कूल से आ कर उस ने अपने पापा अर्थात मेरे बेटे से कहा, ‘‘धरती पर ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा धरती की रोशनी को रोक देता है.’’ मेरे बेटे सौरभ ने उस को समझाया, ‘‘बेटा रुद्र, धरती ग्रहण कुछ नहीं होता है, क्योंकि धरती का प्रकाश नहीं होता है. प्रकाश सिर्फ सूर्य का होता है.’’ इस पर रुद्र ने अपने पापा से कहा, ‘‘धरती की भी रोशनी होती है. स्ट्रीट लाइट अर्थात खंभों पर जलने वाली रोशनी.’’ अब मेरे बेटे की हालत देखने लायक थी.

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