अमेरिकी मोटर वाहन निर्माता कंपनी फोर्ड मोटर भारतीय कार बाजार में अपनी पैठ बनाने का प्रयास लंबे समय से कर रही है. पिछले 2 दशकों में देश के आटो मार्केट में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का वह लगातार प्रयास कर रही है लेकिन कंपनी भारतीय कार बाजार में सिर्फ 3 फीसदी कब्जा ही कर सकी है. यह रफ्तार बहुत धीमी है और इस बात का उस को एहसास है. वह अब मारुति सुजूकी की राह पर चल पड़ी है.

कंपनी को अब समझ आया है कि यदि उसे अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ानी है तो महानगरों के साथ ही छोटे शहरों व कसबों का रुख करना पड़ेगा. उस के लिए कंपनी ने अपनी रफ्तार तेज कर दी है. कंपनी के एक अधिकारी का कहना है कि उस ने छोटे शहरों में उपभोक्ता सेवा केंद्रों की संख्या बढ़ाने का निर्णय लिया है. इस के साथ ही, वह अपने बिक्री केंद्रों की संख्या भी बढ़ा रही है. कंपनी का लक्ष्य जल्द ही 5 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी हासिल करना है. इस के लिए वह अगले 5 साल में देश में 500 वर्कशौप खोलेगी. अब तक उस के 250 वर्कशौप देश के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे हैं.

कंपनी का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों से वह लगातार अपनी कार्यशालाएं खोल रही है और उन में 50 फीसदी कार्यशालाएं छोटे शहरों में खोली गई हैं. अच्छी बात यह है कि दुनिया की बड़ी कंपनियों की समझ में आने लगा है कि भारतीय बाजार महानगरों और बड़े नगरों तक ही सीमित नहीं है बल्कि छोटे नगरों व कसबों में भी है. उस का बड़ा फायदा देश के युवाओं को मिलेगा और उन्हें रोजगार के लिए महानगरों का रुख नहीं करना पड़ेगा.

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