तीन साल बाद लोगों को पैसों की लेनदेन के लिए बैंक में जाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी और हो सकता है कि उस समय तक बैंको के अस्तित्व भी खत्म हो जाएं. ऐसा हमारा नहीं बल्कि नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत का कहना है.

नवंबर 2016 में नोटबंदी करने के बाद से केंद्र सरकार लगातार कैशलेश ट्रांजेक्शन को बढ़ावा दे रही है. डिजीटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देते हुए सरकार ने इसके लिए नए-नए औफर भी पेश किए. अब नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमिताभ कांत ने कहा कि अगले तीन साल में बैंक जाने की आपको जरूरत नहीं रहेगी, क्योंकि डेटा विश्लेषण से वित्तीय समावेशन को और गति मिलेगी. कांत ने कहा कि बैंकों की शाखाओं में लोगों का जाना खत्म हो जाएगा. बैंक के बंद होने का कारण बड़े पैमाने पर डेटा का उपयोग तथा डेटा विश्लेषण है, जो वित्तीय समावेश को मजबूत बनाएगा.

एक परिचर्चा में भाग लेते हुए उन्होंने कहा कि भारत एकमात्र देश है जहां एक अरब से अधिक लोगों को आधार कार्ड (बायोमेट्रिक) जारी किए गए हैं. अगले तीन साल में भारत में एक अरब से अधिक स्मार्टफोन होंगे.

नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने यह भी कहा कि देश में मोबाइल डाटा खपत अमेरिका और चीन के संयुक्त डाटा खपत से अधिक है. उन्होंने कहा कि जीएसटी, पेमेंट बैंक, प्वाइंट-औफ-सेल(पीओएस) मशीन और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर योजनाओं की गति को सरकार की ओर से बढ़ावा मिलेगा.

परिचर्चा में भाग लेते हुए पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा ने कहा कि दुनिया में नया बैंकिंग मौडल भारत से आएगा और पेटीएम भारत मौडल का शुरुआती उदाहरण होगा.

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