उत्तर भारत में बाह्मण परिवार में जन्मी व पली बढ़ी मीनाक्षी दीक्षित ने नृत्य के क्षेत्र में कुछ करने के मकसद से मुंबई में कदम रखा था. पर उन्हे मुंबई पहुंचते ही नृत्य के रियलिटी शो ‘‘डांस विद सरोज’’ के साथ जुड़ने का मौका मिला, जिसने उन्हे दक्षिण भारतीय फिल्मों में हीरोईन बनने का मौका दे दिया. लगभग छह साल तक दक्षिण भारतीय फिल्में कर जबरदस्त शोहरत बटोरने के बाद मीनाक्षी दीक्षित अपने करियर को लेकर खुश थी. पर तभी उन्हे उस वक्त कुंदन शाह की हिंदी फिल्म ‘‘पी से पी एम तक’’ में हीरोईन बनने का मौका मिला, जब इस फिल्म में वेश्या कस्तूरी का किरदार निभाने से माधुरी दीक्षित ने मना कर दिया था. यह एक अलग बात है कि फिल्म ‘‘पी से पी एम तक’’ को बाक्स आफिस पर सफलता नहीं मिली. और अब मीनाक्षी दीक्षित शीघ्र रिलीज हो रही नए निर्देशक सैय्यद अहमद अफजाल की फिल्म ‘‘लाल रंग’’ में रणदीप हुडा के साथ नजर आने वाली हैं. बौलीवुड पंडित इसे मीनाक्षी दीक्षित की तरफ से उठाया गया रिस्की कदम बता रहे हैं. लोगों की राय में कुंदन शाह जैसे निर्देशक के साथ असफल फिल्म करने के बाद मीनाक्षी दीक्षित को काफी सोचकर स्थापित निर्देशक की ही फिल्म करनी चाहिए थी.
मगर खुद मीनाक्षी दीक्षित अपने निर्णय को सही ठहराते हुए कहती हैं-‘‘बौलीवुड में सफलता का कोई तयशुदा फार्मूला नहीं है. किसी भी निर्देशक व कलाकार को आप महज उसकी एक फिल्म के आधार पर जज नहीं कर सकते. एक फिल्म की असफलता से यह कहना गलत होगा कि उस फिल्म के निर्देशक या कलाकार में प्रतिभा की कमी है. फिल्म ‘लाल रंग’ के निर्देशक सैय्याद अहमद अफजाल इससे पहले ‘यंगिस्तान’ जैसी फिल्म निर्देशित कर चुके हैं. पर मैंने फिल्म ‘लाल रंग’ स्क्रिप्ट के आधार पर चुनी. हमने ‘यंगिस्तान’ से पहले भी इन्ही निर्देशक के साथ एक फिल्म का आडीशन दिया था, पर बाद में वह फिल्म नही बन पायी थी. पर यह तय था कि हम दोनों भविष्य में काम करेंगे.