मशहूर रक्षा विशेषज्ञ उदय भास्कर और ‘‘जे एनयू’’ यानी कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय’ में सिनेमा की प्रोफेसर ईला भास्कर की 29 वर्षीय बेटी स्वरा भास्कर एक बेहतरीन अदाकारा हैं. वह हर मुद्दे पर अपनी स्पष्ट व बेबाक राय देने से नही चूकती. हालिया प्रदर्शित फिल्म ‘‘अनारकली ऑफ आरा’’ के बाद शोहरत बटोर रही स्वरा भास्कर की शादी, तलाक व रिश्तों को लेकर अजीब सी सोच है.
हाल ही में ‘‘सरिता’’ पत्रिका से बात करते हुए स्वरा भास्कर ने कहा- ‘‘हमारे देश में शादीयां इसलिए चल रही हैं, क्योंकि औरतों को अपना हक पता नही है या वह मजबूर हैं. मेरे परिवार में मैंने ऐसे लोगों को देखा है, जिनकी शादी को साठ साल हो गए हैं, पर उन्होंने घुट-घुट कर जिंदगी बितायी है. क्योंकि उन औरतों के जेहन में यह बात नहीं है कि वह पति रूपी उस आदमी को छोड़ सकती हैं. मेरी नजर में इस तरह घुटकर जिंदगी जीने की बजाय तलाक ले लेना चाहिए.
जिस तरह पुरूषों को आत्मसंतुष्टि का हक है, उसी तरह से औरतों को भी है. ज्यादातर शादीयां इसीलिए टिकी रहती हैं, क्योंकि शादी को बचाए रखने का भार औरतों पर होता है. उन्हें सिखाया जाता है कि सात जन्म तक आपको इसी के साथ जिंदगी जीना है. मैं मानती हूं कि आजादी के साथ ही कन्फ्यूजन आता है. आजादी के साथ टकराव भी पैदा होता है. मुझे लगता है कि औरतों के प्रति हिंसा वाले समाज के बजाय तलाक वाला समाज चुना जाना चाहिए.
यूं तो तलाक हर इंसान के लिए दुःखद चीज होती है. मुझे लगता है कि ज्यादातर वह बच्चे अपराधी बनते हैं, जो अपने घर में रोज झगड़ा होते हुए देखते रहते हैं. जीवन मूल्यों का शादी से कोई संबंध नहीं होता. तलाक शुदा माता-पिता के बच्चे ज्यादा अच्छे संस्कारों में पलते हैं. यदि हम अपराध की बात करें, तो जितने भी गुंडे हैं, या जो जेलों में बंद अपराधी हैं, उनका इतिहास पता किया जाए, तो इनके माता-पिता शादी शुदा निकलेंगे, तलाक शुदा नहीं.