पूजा चोपड़ा उन हजारों लड़कियों में से एक है, जिनके जन्म से पिता खुश नहीं थे, क्योंकि वे एक बेटे के इंतजार में थे. यही वजह थी कि पूजा की माँ नीरा चोपड़ा अपने दोनों बेटियों के साथ पति का घर छोड़ दिया और जॉब करने लगी. इस दौरान परिवार के किसी ने उनका साथ नहीं दिया, पर उनकी माँ ने हिम्मत नहीं हारी और एक स्ट्रोंग महिला बन दोनों बेटियों की परवरिश की. आज बेटी और अभिनेत्री पूजा अपनी कामयाबी को माँ के लिए समर्पित करना चाहती है और जीवन में उनकी तरह ही स्ट्रॉग महिला बनने की कोशिश कर रही है.

असल में पूजा चोपड़ा एक भारतीय मॉडल-फिल्म अभिनेत्री हैं. वह वर्ष 2009 की मिस फेमिना मिस इंडिया का ताज अपने नाम कर चुकी हैं. पूजा चोपड़ा का जन्म 3 मई वर्ष 1986 पश्चिम बंगाल के कोल्कता में हुआ था. पूजा चोपड़ा ने अपनी शुरुआती पढाई कोलकाता और पुणे से पूरी है. कई ब्यूटी पेजेंट जीतने के बाद उन्होंने मॉडलिंग शुरू की और धीरे-धीरे हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी साख जमाई.

 

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मानसिकता कम करना है जरुरी

अभिनेत्री पूजा आगे कहती है कि इस फिल्म की कहानी आज की है, केवल लखनऊ की नहीं, बल्कि मुंबई, पुणे, दिल्ली आदि में भी रहने वाली कुछ महिलाओं की हालत ऐसी ही होती है. आज भी पत्नी ऑफिस से आने पर घर के लोग, उसके ही हाथ से बने खाने का इंतजार करते है, ये एक मानसिकता है, जो हमारे देश में कायम है, इसे मनोरंजक तरीके से इस फिल्म में बताने की कोशिश की गई है. स्क्रिप्ट बहुत अच्छी है और मैंने इसमें एक मुस्लिम लड़की की भूमिका निभाई है, जो आत्मनिर्भर होना चाहती है.देखा जाय तो रियल लाइफ में मुस्लिम लड़कियों को बहुत दबाया जाता है, ऐसे में मेरे लिए एक मुस्लिम लड़की की भूमिका निभाना बड़ी बात है, क्योंकि मैं भी स्ट्रोंग और आत्मनिर्भर हूँ. इससे अगर थोड़ी सी भी मेसेज प्रताड़ित महिलाओं को जाएँ, जो खुद को बेचारी समझती है और सहती रहती है,तो मुझे ख़ुशी होगी.

अलग चरित्र करना है जरुरी

पूजा हंसती हुई कहती है कि इससे चरित्र से मेरा कोई मेल नहीं है, ये लड़की सकीना शादी-शुदा है और अंदर से खाली है. शादी के बाद उसके मायके वालों से उसका कोई रिश्ता नहीं है. उनकी एक गूंगी सास और पति है, वह घर पर खुद को स्ट्रोंग दिखाती है, पर अंदर से कमजोर है. उस पर काफी जुल्म होता है, पर वह घर से निकल नहीं सकती. इसका सबसे अधिक और बड़ा उदहारण मेरी माँ नीरा चोपड़ा है, जिसने दो बेटियों को लेकर बाहर निकल आई. एक पल के लिए उन्होंने कुछ सोचा नहीं, उन्होंने कई बड़ी-बड़ी होटलों में काम किया है. आज भी वह काम करती है. इस फिल्म में सकीना अंदर से कमजोर है, उसका कोई इस दुनिया में नहीं है, पति और सास उसपर अत्याचार के रहे है अब उसके पास 3 आप्शन है, या तो वह इसे सहती जाय, कुछ बोली तो घर से निकाल दिया जाएगा और घर से निकालने पर वह जायेगी कहा. अकेली कमजोर होते हुए खुद को मजबूत जाहिर करना बहुत चुनौतीपूर्ण था.

 

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बदलाव को करें सेलिब्रेट

पूजा कुछ बदलाव आज देखती है और कहती है कि पारंपरिक परिवारों में आज भी महिलाओं पर अत्याचार होते रहते है, लेकिन इसके लिए किसी पर ऊँगली उठाना ठीक नहीं. दूसरों को कहने से पहले खुद को सम्हालना जरुरी है. अभी बहुत कुछ बदला है. आज महिलाओं को काफी घरों में सहयोग मिलता है. इसे सेलिब्रेट करने की जरुरत है. पूरी बदलावहोने में समय लगेगा. विश्व प्लेटफार्म पर आजकल शादी-शुदा महिला को भी ब्यूटी कांटेस्ट में भाग लेने का मौका मिलता है, ये बहुत बड़ी बदलाव है.

मिली प्रेरणा

पूजा ने कॉलेज में एक्टिंग या मॉडलिंग के बारें में दूर-दूर तक सोचा नहीं था, क्योंकि स्कूल कॉलेज में वह टॉम बॉय की तरह थी. लेकिन उसकी हाइट अधिक होने की वजह से उन्होंने कई फैशन शो और ब्यूटी कांटेस्ट में भाग लिया और जीत भी गई.पुणे में उन्होंने काफी प्रतियोगिताए जीती इससे उनके अंदर एक कॉन्फिडेंस आया. आसपास के दोस्त और रिश्तेदारों ने भीबड़ी-बड़ी होर्डिंग मर पूजा की तस्वीरें देखकर तारीफ़ करने लगे फिर उन्होंने  एक्टिंग की तरफ आने के बारे में सोचा.

 

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मिला सम्मान

अभिनेत्री पूजा कहती है कि मैंने मिस इंडिया के लिए काफी मेहनत की थी, क्योंकि मुझे जीतना था और मिस वर्ल्ड में देश की प्रतिनिधित्व करना था. मैं पहली भारतीय थी, जिन्होंने ब्यूटी विथ पॉर्पोज अवार्ड जीती थी. मिस इंडिया के बाद फिल्मों के ऑफर आने लगे थे और मैंने किया. मिस इंडिया जीतने से लोगों के बीच एक सम्मान और ओहदा मिला, जो एक नार्मल पूना से आई हुई लड़की को नहीं मिलता. किसी से मिलना चाहती हूँ तो वो इंसान टाइम देता था. इससे जर्नी थोड़ी आसान हो गयी थी, लेकिन बाद में टैलेंट ही आपको आगे ले जाती है.

काम में पूरी शिद्दत

पूजा का कहना है कि मैं आउटसाइडर हूँ, इसलिए मुझे सोच-सोचकर कदम बढ़ाना है ये मैं जानती थी. इसके अलावा मैंने अपनी माँ से शिद्दत और मेहनत से काम करना सीखा है. मुझे सोशलाईज होना  पसंद नहीं, मेहनत और लगन  से ही काम करना आता है. मैं जिस किसी काम को आज तक किया, उसमे मैंने सौप्रतिशत कमिटमेंट देना सीखा है.

 

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करती हूँ सोशल वर्क

सोशल वर्क करने के बारें में अभिनेत्री पूजा बताती है कि सोशल वर्क मैं करती हूँ, क्योंकि ऐसी कई लडकियां होंगी, जो मेरी तरह ऐसी माहौल से गुजरी होंगी, मेरी माँ की तरह उन्होंने भी कष्ट झेले होंगे, या कही अनाथ होंगी. ऐसे में मैं उनकी कुछ मदद कर सकूँ, तो वह मेरे लिए अच्छी बात होगी. मैं अपने स्तर पर जो संभव हो करती जाती हूँ.

मिला परिवार का सहयोग

पूजा के जीवन में उसकी माँ और दीदी का बहुत सपोर्ट रहा, जिसकी वजह से वह यहाँ तक पहुँच पाई है. वह कहती है कि मेरा सपना हैं कि मेरी माँ का 12 घंटे काम कर थक जाना अच्छा नहीं लगता, मैं उन्हें एक ऐसी जिंदगी दे दूँ,जिसमे वह खुश होकर अपनी जिंदगी बिता सकें और कहे कि अब मैं बहुत खुश हूँ,मैंने देखा है कि मेरी माँ खुश होने पर ग्लो करती है. मेरी दीदी जॉब करती है. उन्होंने भी मुझे यहाँ तक आने में बहुत सहयोग दिया है, जब मैं 7 वीं कक्षा में थी तो मेरी दीदी उस समय कॉलेज जाती थी. उन्होंने सुबह 4 बजे उठकर शेयर रिक्शा में पुणे में 6 से 7 किलोमीटर कैंट एरिया में जाकर अखबार वितरितकरती थी. उससे आये एक्स्ट्रा पैसे से मैंने ट्यूशन लिया, क्योंकि मैं हिंदी और मराठी में बहुत कमजोर थी. मेरी दीदी मुझसे 4 साल बढ़ी है और उन्होंने मुझे नहलाना, धुलाना, खाना खिलाना आदि करती थी, क्योंकि माँ जॉब करती थी और सुबह निकलकर रात को आती थी. इस तरह से मेरी दो माएं है.

खुद के सपने को खुद करें पूरा

पूजा महिलाओं को मेसेज देना चाहती है कि खुद को पुरुषों से कभी कम न समझे, जो भी सपना उन्होंने देखा है, उसे उठकर खुद पूरा करें, खुद में आत्मविश्वास रखें. अभी महिलाएं,वार फील्ड से लेकर हर क्षेत्र में काम कर रही है. पुरुषों को चाहिए कि वे महिलाओं को आगे आने में सपोर्ट करें, लड़कियों को लड़कों से कभी कम न आंके.

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